हेमंत शर्मा, इंदौर। जैन धर्म की परंपरा और मान्यता को बनाए रखने के लिए एक दवा व्यापारी ने मौत को गले लगा लिया। वहीं उनके परिजनों ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए मृतक की आंखें और स्किन दान कर मानव समाज को अच्छा संदेश दिया है। यह दुखद और सुखद खबर इंदौर शहर के जैन परिवार की है।

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दरअसल बैडमिंटन खेलते समय दवा व्यापारी अमित को दो अटैक आया। फिर वहां मौजूद लोगों ने उसे सीपीआर (CPR) दिया। सीपीआर देने पर होश में आ गया। होश में आने के बाद दवा खिलाई किंतु धार्मिक आस्था के चलते मुंह में से दवा थूक दी। यही मान्यता है कि जैन धर्म की परंपरा (नक्कारसी) में सुबह आठ बजे से पहले कुछ खा नहीं सकते। इसी का पालन करने अमित ने खाई दवा होश आने पर थूक दिया और इस दुनिया को अलविदा कहते हुए मौत को गले लगा लिया। 45 वर्षीय अमित की मौत के बाद परिजनों ने समाज और मानव सेवा का अच्छा उदाहरण देते हुए आंखें और स्किन दान कर दी। परिजनों के इस कदम की सिर्फ समाज ही नहीं बल्कि पूरे शहर के लोग सराहना कर रहे हैं।

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