Delhi BJP Probable CM Face: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, राजधानी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते नजर आ रही है। अगर एग्जिट पोल के ये आंकड़े रिजल्ट में तब्दील होते है तो सबसे पहला सवाल यह उठता है कि बीजेपी की ओर से सीएम कौन होगा ? मुख्यमंत्री पद का हकदार कौन बनेगा ? क्यों कि सीएम की रेस में एक दो नहीं बल्कि पांच से छह नेता है। ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपती है।
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने अपने किसी भी नेता को सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और पार्टी का काम लेकर बीजेपी चुनावी रण में उतरी थी। दिल्ली चुनाव के प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री फेस को लेकर एक दूसरे से कई सवाल किए। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा से पूछा था कि दिल्ली में उसका चेहरा कौन होगा। AAP कभी रमेश बिधूड़ी का नाम तो कभी प्रवेश वर्मा के नाम को बीजेपी का चेहरा बताती रही है। अब यदि एग्जिट पोल का अनुमान नतीजों में बदला है तो बीजेपी की तरफ से सीएम फेस कौन होगा ? आइए एक नजर डालते है उन नामों पर जो इस पद की रेस में सबसे आगे है…
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दुष्यंत कुमार गौतम
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर ABVP से शुरू किया था। वे बीजेपी के दलित चेहरा माने जाते हैं। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है। वे अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं। अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनती है तो सीएम के प्रबल दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं, लेकिन उनके विवादित बयान राह में रोड़ा भी बन सकते हैं। 2022 में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ‘निकम्मा’ कहा तो विपक्षी इंडिया गठबंधन की तुलना ‘स्ट्रीट डॉग’ से की थी। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि कांग्रेसी मंदिरों में लड़कियां छेड़ने जाते हैं।
रामवीर सिंह बिधूड़ी
गुर्जर समाज से आने वाले रामवीर सिंह बिधूड़ी भी प्रबल दावेदारों में से एक है। रामवीर बिधूड़ी दिल्ली में लंबे समय तक विधायक रहे हैं और अब दक्षिणी दिल्ली से सांसद हैं। सांसद होने के नाते विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं। सीएम की रेस में उनके नाम के कयास लगाए जा रहे हैं, क्योंकि दिल्ली चुनाव में काफी एक्टिव नजर आए हैं।
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रमेश बिधूड़ी
रमेश बिधूड़ी कालकाजी सीट पर सीएम आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़े हैं। रमेश बिधूड़ी दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं और उससे पहले दिल्ली में विधायक रह चुके हैं। मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़ने की वजह से ही सीएम पद के लिए कयास लगाया जा रहा है, लेकिन उसके लिए उन्हें जीत दर्ज करनी होगी। लेकिन रमेश की राह में सबसे बड़ी बाधा विवादित बयान है। लोकसभा में कुंवर दानिश अली पर सांप्रदायिक टिप्पणी कर दी थी। इसके अलावा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी और आतिशी को लेकर भी विवादित टिप्पणी की थी।
प्रवेश वर्मा
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। प्रवेश वर्मा अगर चुनाव में केजरीवाल को हराने में सफल रहते हैं और भाजपा की सत्ता में वापसी होती है तो सीएम की रेस में उनका नाम भी होगा। नई दिल्ली विधानसभा सीट को दिल्ली की सत्ता का धुरी कहा जाता है, यहां से जीतकर शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल CM रह चुके हैं। प्रवेश वर्मा जाट समाज से आते हैं, बाहरी दिल्ली में जाट वोट बड़ी संख्या में है। जाट समीकरण के चलते ही उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जाट समीकरण के लिहाज से प्रवेश वर्मा फिट बैठते हैं, लेकिन परिवारवाद उनकी राह में रोड़ा बन सकता है। भाजपा ने किसी भी मुख्यमंत्री के बेटे को अभी तक सीएम नहीं बनाया है।
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विजेंद्रर गुप्ता
दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनाव लड़ रहे है। विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और अरविंद केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं। विजेंदर गुप्ता, केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं। वे दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में अगर राजधानी में बीजेपी की सत्ता में वापसी होती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे।
मनोज तिवारी
मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं। 2024 में भाजपा ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था। मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं, उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी। हालांकि, दिल्ली में पूर्वांचल वोटों की सियासी ताकत को देखते हुए उनकी किस्मत का सितारा बुलंद हो सकता है। राजधानी में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक पारी का आगाज बीजेपी से नहीं हुआ। वो समाजवादी पार्टी से भारतीय जनता पार्टी में आए हैं। इसके अलावा दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़े हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि बीजेपी मनोज तिवारी को मुख्यमंत्री का पद सौंपती है या नहीं ?
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