रायपुर.. कवर्धा में करोड़ों रुपये के दवा घोटाले के खुलासे के महीने भर बाद भी स्थिति जस की तस है..स्वास्थ्य संचालनालय ने इस मामले की जांच कराने की बात कही थी,लेकिन 1 माह गुजरने के बाद भी दवा खरीदी घोटाले में कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.. जांच-जांच के खेल में लगे अफसर अपने अधीनस्थ मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को बचाने जी जान से लगे हैं. मुख्यमंत्री के गृह जिले का मामला होने के बावजूद जांच में ढिलाई के चलते राजधानी में पदस्थ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध हो चली है..सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में अधिकारी और दवा व्यवसायी की मिलीभगत से बिलों को सुधारने का खेल चल रहा है..
आपको बता दें कि बहुचर्चित इस मामले में दवा खरीदी में क्रय नियमो का खुला उलनघन किया गया है..उच्चाधिकारियों से खरीदी के लिए अनुमति से बचने के लिए एक ही दिन में एक ही फर्म को लाखो का आर्डर टुकड़ो में अलग अलग आदेश क्रमांक से जारी किया गया,जो कि क्रय नियमों का सीधा उल्लंघन है.. मशीनरी और उपकरण खरीदी में क्रय नियम के तहत खरीदी ना कर मन मर्जी से की गई..इसी प्रकार डीजीएसएंडडी में पंजीकृत फर्म से दवा की खरीदी नहीं की गई..डी जी एस एंड डी का दक्षता प्रमाण पत्र भी फर्म से नही लिया गया.. कंप्यूटर की खरीदी के लिए एक ही दिन में दो बार आदेश जारी किया (आर्डर क्रमांक 714 और 716 दिनांक 30 जनवरी 17 को).. गाज थान ( कॉटन) की ख़रीदी के बिल में एक्सपायरी डेट, बैच नम्बर और वजन नही है..ऑपरेशन के दौरान टांके लगाने के लिए उपयोग में लाये जाने वाला कैट गट 0.1और 0.2 की खरीदी प्रिंट रेट से अधिक दर पर प्रति नग 775 रूपये की दर से की गई,जो कि नियमों का खुले आम उल्लंघन है..
दवा खरीदी घोटाले पर जांच में ढिलाई बरतने और दोषियों को बचाने की कोशिश की शिकायत आज मुख्यमंत्री के जनदर्शन कार्यक्रम में भी की गई है,जिस पर सीएम ने जल्द जांच पूरा कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है..अब देखना होगा कि इस मामले के मुख्य आरोपी माने जा रहे कबीरधाम जिले के सीएमएचओ पर क्या कार्रवाई की जाती है..