भुवनेश्वर : ओडिशा के मलकानगिरी में वाटरशेड के उप निदेशक और परियोजना निदेशक (पीडी) से जुड़ी संपत्तियों पर छापेमारी के दौरान करीब दो करोड़ रुपये नकद बरामद होने के बाद सतर्कता विभाग ने गुरुवार को उन्हें कपिलप्रसाद शाखा में एसबीआई में उनके लॉकर की जांच के लिए भुवनेश्वर लाया।
एसबीआई कपिलाप्रसाद शाखा में मलकानगिरी के उप निदेशक एवं पीडी वाटरशेड शांतनु महापात्र के बैंक लॉकर से 2 लाख रुपये नकद, बिक्री विलेख और अन्य भूमि दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
वाटरशेड के इस उप निदेशक की कार्यप्रणाली सभी को चौंका देगी। सरकारी अधिकारी शांतनु महापात्र पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। अधिकारी से जुड़े कई स्थानों पर की गई छापेमारी के दौरान सतर्कता अधिकारियों ने भारी मात्रा में संपत्ति का पता लगाया। अधिकारियों ने बताया कि तलाशी के दौरान करीब 2.06 करोड़ रुपये नकद और 422 ग्राम सोना बरामद हुआ। सूत्रों ने बताया कि उनका रियल एस्टेट पोर्टफोलियो काफी बड़ा है, जिसमें पूरे राज्य में कई जमीनें और कई आलीशान घर शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि कोरापुट में उनका तीन मंजिला घर है, जो 6,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है। उनके पास जयपुर और भुवनेश्वर में चार कीमती प्लॉट भी हैं। विजिलेंस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मोहपात्रा पर सरकारी धन का दुरुपयोग करने का संदेह है। मोहपात्रा और उनके सहयोगियों पर काम पूरा होने को दर्शाकर सरकारी धन की हेराफेरी करने और मजदूरों के खातों में भुगतान करने का संदेह है, जिसे बाद में निकालकर उसका दुरुपयोग किया गया।
डीईओ विश्वजीत मंडल और कार्यालय के संविदा कर्मचारी अमियकांत साहू के आवास पर छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों की पासबुक बरामद की गई।
प्रारंभिक जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि मजदूरों के बैंक खातों का संचालन इन पदाधिकारियों द्वारा सरकारी धन की निकासी और दुरुपयोग को सुचारू रूप से करने के लिए किया जा रहा था। इस संबंध में एक अलग जांच शुरू की गई है और पिछले 2 वर्षों में पूरे किए गए कार्यों से जुड़ी फाइलों को जांच के लिए लाया गया है।
जांच में यह भी पता चला है कि जगन्नाथ प्रसाद, गंजम में जन सेवा केंद्र चलाने वाला आलेख चंद्र प्रधान रिश्वत वसूली में मोहपात्र का सहयोगी था। वह कथित तौर पर मोहपात्र की ओर से ठेकेदारों और अन्य लोगों से ऑनलाइन रिश्वत वसूल रहा था और बाद में उसे अपने खाते में ट्रांसफर कर रहा था। विजिलेंस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि तलाशी के दौरान प्रधान द्वारा 2019 से 2024 तक 1 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के हस्तांतरण के साक्ष्य जुटाए गए हैं।
बरामद की गई कुल 2.06 करोड़ रुपये की नकदी में से 1.98 करोड़ रुपये महापात्र के घर से जब्त किए गए, जबकि शेष राशि उनसे जुड़े लोगों से बरामद की गई। तलाशी अभियान के दौरान सतर्कता विभाग ने 422 ग्राम वजन के सोने के आभूषण, 91 लाख रुपये के बैंक, बीमा, अन्य जमा, भुवनेश्वर और जयपुर शहर में चार उच्च मूल्य के प्लॉट, एक चार पहिया वाहन, दो दोपहिया वाहन और 29 लाख रुपये के घरेलू सामान भी जब्त किए। कृषि अर्थशास्त्र में एमएससी पूरा करने के बाद महापात्र 1995 से सरकार में सेवारत हैं। उन्होंने लगभग तीन दशकों तक अविभाजित कोरापुट और गंजम जिलों में विभिन्न पदों पर काम किया है।
2.06 करोड़ रुपये की जब्ती ओडिशा के सतर्कता विभाग के इतिहास में शीर्ष तीन सबसे बड़ी नकद बरामदगी में से एक है। 2022 में लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता कार्तिकेश्वर राउल से 3.41 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे। 2023 में नबरंगपुर के अतिरिक्त उप-कलेक्टर प्रशांत कुमार राउत से 3.12 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे।
महापात्र और उनके सहयोगियों पर काम पूरा होने और श्रम खातों में भुगतान दिखाने के लिए सरकारी धन की हेराफेरी करने का संदेह है, जिसे बाद में निकाल लिया गया और उसका दुरुपयोग किया गया।
डीईओ विश्वजीत मंडल और कार्यालय के संविदा कर्मचारी अमियकांत साहू के आवास पर छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों की पासबुक बरामद की गई। ऐसा प्रतीत होता है कि इन पदाधिकारियों द्वारा मजदूरों के बैंक खातों का संचालन कर सरकारी धन की निकासी और गबन को सुचारू रूप से अंजाम दिया जा रहा था। इस संबंध में एक अलग जांच शुरू की गई है और पिछले 2 वर्षों में पूरे किए गए कार्यों से जुड़ी फाइलों को जांच के लिए लाया गया है।
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