प्रयागराज. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने महाकुंभ पहुंचकर गंगा स्नान किया. इस दौरान उन्होंने पूजा-पाठ कर राज्य के लोगों के लिए शांति और समृद्धि की प्रार्थना की. स्नान करने के बाद उन्होंने कहा, इस पावन संगम में खड़े होकर दिव्यता का आलिंगन होता है. इसका शीतल जल केवल शरीर को नहीं, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है और जीवन के समस्त बोझ हर लेता है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ उनके कई मंत्री और विधायक भी मौजूद रहे, जिन्होंने गंंगा स्नान किया.

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बता दें कि गंगा स्नान करने से पहले मणिपुर सीएम ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा था कि “पवित्र त्रिवेणी संगम पर, अपने सम्मानित कैबिनेट सहयोगियों और माननीय विधायकों के साथ मैं पवित्र स्नान करूंगा और मणिपुर और पूरे देश के लोगों के लिए शांति, सद्भाव और समृद्धि की प्रार्थना करूंगा. यह पवित्र अवसर सभी के लिए मंगल हो.

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45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान

महाकुंभ में इस बार 45 करोड़ श्रद्धालुओं के पवित्र संगम में स्नान करने का अनुमान है. हर 12 साल बाद लगने वाले इस कुंभ में 144 साल बाद खास संयोग बन रहा है, क्योंकि अब तक 12 कुंभ पूरे हो चुके हैं. इसी वजह से इसे महाकुंभ कहा जा रहा है और इसमें आने वाला श्रद्धालुओं की संख्या पहले के किसी भी कुंभ से ज्यादा है. ऐसे में कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती के लिए यूपी सरकार ने हाईटेक उपकरणों का सहारा लिया है और इस बार AI बेस्ड कैमरे की मदद से लोगों की गिनती की जा रही है.

महाकुंभ क्यों मनाया जाता है

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन घमासान युद्ध हुआ. अमृत को पाने की लड़ाई के बीच कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों पर गिरी थीं. ये जगह हैं प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक. इन्हीं चारों जगहों पर कुंभ का मेला लगता है. जब गुरु वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तब कुंभ मेला प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं, तब कुंभ मेला नासिक में आयोजित होता है. गुरु के सिंह राशि और सूर्य के मेष राशि में होने पर कुंभ मेला उज्जैन में आयोजित होता है. सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.