Uddhav Thackeray: इस वक्त की बड़ी खबर महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति से निकलकर सामने आ रही है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने एक बार फिर से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका दिया है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के 6 सांसद इस्तीफा दे सकते हैं। इस खबर के सामने आने के बाद महाराष्ट्र में एक बार फिर से भूचाल मच गया है। सूत्रों के मुताबिक, ठाकरे गुट के छह सांसद शिंदे गुट के संपर्क में हैं। ऑपरेशन टाइगर के जरिए ठाकरे गुट के 9 में से 6 सांसद शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों से पता चला है कि आगामी संसद सत्र से पहले इस अभियान को पूरा करने की कवायद चल रही है।

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 महाराष्ट्र में फिर से सियासी खलबली मचने वाली है। जी हां.. एकनाश शिंदे द्वारा उद्धव ठाकरे को फिर से बड़ी चोट देने की प्लानिंग हो चुकी है। विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त से अभी तक उबर नहीं पाई उद्धव ठाकरे की शिवसेना में डिप्टी सीएम बड़ी चोट देने जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि एक बार फिर उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना गुट के टूटने की चर्चा है. इसे ऑपरेशन टाइगर (Operation Tiger) नाम दिया गया है। खुद एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे को चोट देने को पूरी प्लानिंग कर चुके हैं।

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सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे के नौ सांसदों में से छह जल्द ही एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस उद्देश्य के लिए शिवसेना शिंदे गुट की ओर से ऑपरेशन टाइगर चलाया जा रहा है। अब ऑपरेशन टाइगर को लेकर एक बड़ी अपडेट सामने आई है। एकनाथ शिंदे ने बताया है कि ऑपरेशन टाइगर की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

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‘ऑपरेशन टाइगर’ को लेकर कई दिनों से चर्चा चल रही है। दल-बदल विरोधी कानून के कारण 6 सासंदों की संख्या जुटाने में पिछले कुछ दिनों से सांसदों से संपर्क किया गया था। अगर इस कानून से बचना था तो ठाकरे के 9 में से 6 सांसदों को अलग होना था अन्यथा दल-बदल विरोधी कानून के तहत अलग हुए समूह के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती थी। इसलिए दल-बदल विरोधी कानून से बचने के लिए 6 सांसदों की संख्या महत्वपूर्ण थी। लिहाजा सांसदों को पूरी तरह से मनाने में समय लगा।

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उद्धव गुट क्यों छोड़ेंगे सांसद? 

दरअसल कई सांसद अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। वह अगले पांच साल तक एक मजबूत गठबंधन सरकार में रहना चाहते हैंष फिलहाल उन्हें पैसे इकट्ठा करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। जब वो शिंदे गुट में आ जाएंगे तो उन्हें केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी फायदा मिलेगा क्योंकि दोनों जगहों पर शिंदे गुट सरकार में शामिल है। पार्टी और सिंबल का मुद्दा अब खत्म हो गया है। मुख्य कारण यह है कि शिवसेना ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और लोगों ने उन्हें स्वीकार किया। साथ ही विधानसभा चुनाव में उन्हें मान्यता मिली। शिवसेना ने बड़ी जीत हासिल की. ऐसे में पार्टी और सिंबल का मुद्दा बचा ही नहीं। केंद्र में भाजपा का समर्थन मिलने से विकास कार्यों में तेजी आएगी। साथ ही धन मिलने में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।

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