Tarkeshwar Mahadev Mandir: उत्तराखंड के लैंसडाउन से 37 किमी दूर, 2092 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है. घने देवदार और चीड़ के जंगलों से घिरा यह मंदिर अपनी पौराणिक कथाओं और सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है.

ताड़केश्वर महादेव मंदिर शिवभक्तों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहाँ विशेष रूप से महाशिवरात्रि और श्रावण मास में श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं.

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पौराणिक कथा (Tarkeshwar Mahadev Mandir)

किंवदंती के अनुसार, राक्षस तारकासुर ने शिव की घोर तपस्या कर उनसे अमरता का वरदान प्राप्त किया. परंतु शिव ने यह शर्त रखी कि केवल उनका पुत्र ही उसे मार सकेगा. वरदान पाकर तारकासुर अजेय हो गया और निर्दोष ऋषि-मुनियों को सताने लगा. जब ऋषि शिव के पास सहायता के लिए पहुँचे, तब शिव स्वयं तारकासुर का वध नहीं कर सके. इसलिए उन्होंने माता पार्वती से विवाह किया, जिससे कार्तिकेय का जन्म हुआ. बाद में, कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया.

मृत्यु से पूर्व, तारकासुर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने शिव से क्षमा मांगी. शिव ने उसे माफ करते हुए वरदान दिया कि कलयुग में इस स्थान पर लोग ताड़केश्वर महादेव के नाम से उनकी पूजा करेंगे. इसी कारण इस मंदिर का नाम राक्षस तारकासुर के नाम पर रखा गया.

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इतिहास और मान्यताएँ

स्थानीय कथाओं के अनुसार, पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था. माना जाता है कि भगवान राम ने भी हिमालय यात्रा के दौरान यहाँ दर्शन किए थे. कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह वही स्थान है जहाँ समुद्र मंथन हुआ था.

मंदिर की वास्तुकला (Tarkeshwar Mahadev Mandir)

गढ़वाल शैली में बने इस मंदिर का निर्माण स्लेट, पत्थर और लकड़ी से किया गया है. मंदिर एक ऊँचे चबूतरे पर स्थित है, जिसमें केवल एक ही प्रवेश द्वार है. गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, जो काले पत्थर का बना हुआ और लगभग दो फीट ऊँचा है. गर्भगृह की छत चौकोर और सपाट है.

मंदिर परिसर में माँ पार्वती का एक अलग मंदिर भी है. यहाँ एक हवन कुंड है, जिसमें निरंतर पवित्र अग्नि जलती रहती है. मुख्य मंदिर के सामने लकड़ी के स्तंभों वाला मंडप स्थित है, जिसकी छत स्लेट की बनी हुई है. मंदिर की बाहरी दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक दृश्यों की सुंदर नक्काशी की गई है, जो गढ़वाल कला शैली को दर्शाती है.