हिमाचल प्रदेश के पठानकोट के पास स्थित नागनी मंदिर सांपों की देवी नागनी को समर्पित एक प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल है. यहाँ सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, खासकर भाद्रपद महीने में जब वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है. नागनी मंदिर से कई किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं. कहा जाता है कि मंदिर से बहने वाला पानी वहीं से आता है, जहाँ देवी निवास करती हैं.
मान्यता है कि इस जल को पीने और मंदिर की मिट्टी लगाने से सांप के काटने का जहर समाप्त हो जाता है. इसी कारण, सांप के काटे हुए लोग यहां आकर जल और मिट्टी का उपयोग करते हैं और स्वस्थ हो जाते हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ कभी भी ऑफ-सीजन नहीं होता. पूरे साल भक्त यहाँ दर्शन करने आते हैं और नागनी माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह मंदिर श्रद्धा, भक्ति और चमत्कारों का अद्भुत संगम है.
मंदिर की सुंदर वास्तुकला
नागनी मंदिर की वास्तुकला बेहद आकर्षक है. मंदिर के गर्भगृह में देवी नागनी की सुंदर मूर्ति विराजमान है, जिसके नीचे से रहस्यमयी रूप से जल प्रवाहित होता है. यह जल स्रोत किसी पाइपलाइन से नहीं जुड़ा है, जिससे यह एक चमत्कारिक स्थल माना जाता है. मंदिर परिसर शांतिपूर्ण वातावरण से भरपूर है और यहाँ एक झरना भी स्थित है, जिसके जल को औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है.
त्योहार और भक्तों की श्रद्धा
श्रावण और भाद्रपद महीने में प्रत्येक शनिवार को यहाँ विशेष मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से हजारों श्रद्धालु आते हैं. मंदिर के पास कई प्रसाद और उपहार की दुकानें भी हैं. यहाँ मिलने वाला विशेष प्रसाद “एंडेरेस” (चावल से बना हलवा) बहुत प्रसिद्ध है.
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