Death In Maharashtra from GBS: महाराष्ट्र में दुर्लभ बीमारी गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre syndrome) का कहर जारी है। जीबीएस संक्रमितों के साथ ही मरने वाले मरीजों की संख्या लगातार बड़ रही है। पुणे के बाद अब मुंबई में जीबीएस से पीड़ित मरीज की मौत हुई है। मुम्बई के नायर अस्पताल में वेंटिलेटर पर भर्ती 53 साल के मरीज की मौत हो गई। मुंबई शहर में जीबीएस सिंड्रोम वायरस से पहली मौत हुई है. ऐसे में जीबीएस से जुड़ी मौतों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है।
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वडाला के रहने वाले 53 साल के ये मरीज बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में कार्य कर रहे थे। नायर आपताल के डीन डॉक्टर शैलेश मोहिते के अनुसार, मरीज काफी दिन से बीमार थे, कई दिनों तक उनका इलाज चल रहा था।
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साथ ही नायर अस्पताल में जीबीएस वायरस से सक्रमिंत एक 16 साल की एक लड़की मरीज भी एडमिट है। लड़की पालघर की रहने वाली है और 10वीं की छात्रा है। पुणे में एक दिन पहले गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पीड़ित 37 वर्षीय युवक की शहर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
पुणे में हुई थी सातवीं मौत
महाराष्ट्र के पुणे में रविवार (9 फरवरी) को 37 साल के व्यक्ति ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था, जिसके साथ ही शहर में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ कर 7 हो गया था। इन सात मामलों में संदिग्ध और कंफर्म, दोनों केस शामिल हैं। इस बीच पुणे में संदिग्ध मरीजों की संख्या बढ़ कर 192 हो गई है, जिनमें से 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 37 वर्षीय मरीज जिसकी मौत हो गई है, वह पुमे में ही वाहन चालक के रूप में काम करता था। उसे पैरों में कमजोरी की शिकायत थी, जिसकी जांच के बाद डॉक्टर्स ने उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया था। 5 फरवरी को मरीज के रिश्तेदार उसे अस्पताल में लेकर आए। 9 फरवरी को उसे दिल का दौरा पड़ गया, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई।
पुणे में अब तक 197 मामले, 20 मरीज वेंटिलेटर पर, 50 ICU में
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पुणे इलाके में गुलियन-बेरी सिंड्रोम के संदिग्ध और पुष्ट मामलों की तादाद 197 तक पहुंच गई है। इस नर्व डिस-ऑर्डर के पांच और रोगियों का पता चला है। हेल्थ डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे में पांच रोगियों में 2 नए मामले और 3 पिछले दिनों के मामले शामिल हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट की प्रेस रिलीज में कहा गया कि 197 मामलों में से 172 में GBS से जुड़ा इलाज किया गया है। करीब 40 मरीज पुणे नगर निगम इलाकों से हैं, 92 PMC में नए जोड़े गए गांवों से, 29 पिंपरी चिंचवाड़ नागरिक सीमा से, 28 पुणे ग्रामीण से और आठ अन्य जिलों से हैं। 104 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है, 50 आईसीयू में और 20 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
गुइलेन बैरे सिंड्रोम क्या है?
गुलियन बेरी सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। आमतौर पर इसके मामले नहीं देखे जाते. डॉक्टर्स के मुताबिक, इसमें पेरीफेरल नर्व्स (Peripheral Nervous System) डैमेज हो जाती है। इस वजह से हाथों और पैरों में कमजोरी आने लगती है। यह एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। ऐसे में अगर वक्त पर जांच और इलाज किया जाए, तो मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
क्या है इसका लक्षण
गुलियन बेरी सिंड्रोम की शुरुआत आमतौर पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से होती है। ये लक्षण तेजी से फैल सकते हैं और लकवे में बदल सकते हैं। इसके शुरुआती लक्षण ये हो सकते हैंः-
- हाथों, पैरों, टखनों या कलाई में झुनझुनी.
- पैरों में कमजोरी.
- चलने में कमजोरी, सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत.
- बोलने, चबाने या खाना निगलने में दिक्कत.
- आंखों की डबल विजन या आंखों को हिलाने में दिक्कत.
- तेज दर्द, खासतौर पर मांसपेशियों में तेज दर्द.
- पेशाब और मल त्याग में समस्या.
- सांस लेने में कठिनाई.
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