रायपुर. कोरबा लोकसभा चुनाव के लिए जेसीसी-बसपा गठबंधन की ओर से अजीत जोगी जोगी के चुनाव लड़ सकते हैं. इस पर अंतिम फैसला गठबंधन की बैठक में लिया जाएगा. लेकिन अगर जोगी कोरबा से दांव ठोंकते हैं तो यहां लोकसभा का मुकाबला छत्तीसगढ़ में बेहद दिलचस्प हो जाएगा. कांग्रेस ने कोरबा सीट विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत परिवार को देने का मोटे तौर पर फैसला कर लिया है.
चरणदास महंत अपनी पत्नी ज्योत्सना महंत को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. प्रदेश नेतृत्व ने फैसला चरणदास महंत पर छोड़ दिया है कि वे किसे लड़ाएं. लेकिन कांग्रेस गलियारे में चल रही चर्चाओं के मुताबिक मंत्री जयसिंह अग्रवाल भी अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते हैं. जयसिंह अग्रवाल की पत्नी रेणु अग्रवाल कोरबा की मेयर हैं. लेकिन ज़्यादा संभावना महंत परिवार की है.
राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि अजीत जोगी के उतरने की स्थिति में मुकाबला त्रिकोणीय और कठिन हो जाएगा. जानकार मानते हैं कि जोगी अगर जीत नहीं पाए तो भी हराने का माद्दा रखते हैं. ज़रा सी चूक यहां कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस को यहां से अपने सबसे मज़बूत उम्मीदवार को उतारना पड़ सकता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरबा लोकसभा सीट में कांग्रेस में चरणदास महंत से बड़ा कोई नेता नहीं है. जबकि उनकी पत्नी ज्योत्सना चुनावी और संगठन की राजनीति में नई हैं.
जब अजीत जोगी की दावेदारी सामने नहीं आई थी तो ज्योत्सना महंत के नाम को लेकर कोई मुश्किल नहीं थी. लेकिन जोगी की दावेदारी के बाद दावेदारी के हालात तेज़ी से बदल सकते हैं. पार्टी के बड़े नेता नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि इस बार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव की तरह आखिरी समय में हालात को देखते हुए पार्टी चरणदास को चुनाव लड़ने को कह दे.
कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता इस बात को लेकर हैरानी जता रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले महंत एक बार भी दिल्ली नहीं गए. अमूमन हर चुनाव के वक्त वो दिल्ली में कई-कई दिनों तक डेरा डाले रहते रहे हैं.
पिछले चुनावों का विश्लेषण करने वाले राजनीतिक पंडित मानते हैं कि जोगी को टक्कर महंत ही दे सकते हैं. 2014 के चुनाव जिन विधानसभा चुनाव में महंत को बड़ी बढ़त मिली थी, वो जोगी के प्रभाव वाली क्षेत्र थे. इस विधानसभा चुनाव में भी मरवाही के अलावा इस लोकसभा की दो सीटें ऐसी रही हैं जिनमें से जोगी की पार्टी को अच्छे खासे वोट मिले हैं. विधानसभा चुनाव में जोगी की पार्टी को कोरबा लोकसभा सीटों से 2 लाख से ज़्यादा वोट मिले हैं. मरवाही विधानसभा सीट से जोगी 46 हजार से जीते हैं. जबकि पिछले बार महंत को यहां से जो लीड मिली थी उसी के सहारे वो हार का अंतर कम कर पाए थे. पार्टी ने जब यहां से किसी नए उम्मीदवार को उतारा तो उसे मुंह की खानी पड़ी. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार और महंत के करीबी गुलाब सिंह को महज़ 20 हज़ार वोट मिल पाए थे. वो तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे. लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस को जीतना होगा तो यहां से बढ़त लेनी होगी या जोगी की लीड बेहद कम करनी होगी.
कोरबा जिले की दो और सीटों पर जोगी की पार्टी का बड़ा प्रभाव है. जोगी के उतरने से कांग्रेस को यहां से मुश्किल हो सकती है. कटघोरा से जेसीसी उम्मीदवार गोविंद सिंह राजपूत को करीब 30 हज़ार मोट मिले थे. इसी तरह से रामपुर से जेसीसी के फूलसिंह राथी को करीब 47 हज़ार वोट मिले थे. 2014 के चुनाव में चरणदास महंत को रामपुर से करीब 7 हज़ार वोटों से बढ़त मिली थी. पाली तानाखार से पिछली दफा महंत को करीब साढ़े बारह हज़ार की लीड मिली थी. ये सीट भी जोगी के प्रभाव वाली मानी जाती है. हालांकि विधानसभा चुनाव में जेसीसी ने सीट बसपा को दे दी थी. जिसके चलते उसे वोट ज्यादा नहीं मिले. यही हाल कोरिया ज़िले की सीटों का है. कोरिया जिले की तीन सीटोे पर महंत का गड्डा था. लेकिन वे लगातार 10 साल से इस क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं.
ज्योत्सना मंहत अभी तक राजनीति में नहीं थीं. वे महंत के चुनाव के मौके पर कोरबा का काम देखती थीं. ज्योत्सना महंत खराब स्वास्थ्य होने की वजह से पिछले लोकसभा चुनाव में कोरबा में नहीं रह पाई थीं. महंत चुनाव बेहद कम मार्जिन से हार गए. महंत के हार की वजह कोरबा ही बनी. यहां से वे 19 हजार 802 वोट से हार गए. जो उनकी हार की सबसे बड़ी वजह बनी. महंत ने माना कि ज्योत्सना महंत के न होने का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा.
महंत के विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद से वे लगातार सक्रिय रही हैं. लोकसभा की तैयारी उन्होंने तभी से कर दी थी. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या वे जोगी की लड़ने की स्थिति में उनका मुकाबला करने की स्थिति में हैं.