बिलासपुर। नान घोटाले में आरोपी छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को हाई कोर्ट से झटका लगा है. जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की सिंगल बेंच ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. मामले में हाई कोर्ट ने 10 दिसंबर को मामले की अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. यह भी पढ़ें : पुलिस ने 30 घंटे में 60 लाख की डकैती का किया खुलासा : पीड़ित की बहन निकली मास्टरमाइंड… जानिए 6 महीने पहले कैसे बनी थी योजना ?
हाई कोर्ट से पहले ईओडब्ल्यू-एसीबी की विशेष कोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका को अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए खारिज कर दिया था. जिसके बाद कोर्ट के फैसले को पूर्व एजी ने वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने नान घोटाले में डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा, सतीश चंद्र वर्मा और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराओं 7, 7क, 8, और 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धाराएं 182, 211, 193, 195-ए, 166-ए, और 120बी के तहत अपराध दर्ज किया था.
ईओडब्ल्यू की ओर से दर्ज एफआईआर के अनुसार, पूर्व आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से पद का दुरूपयोग करते हुए लाभ लिया. दोनों अफसरों ने तत्कालीन महाअधिवक्ता वर्मा को लोक कर्तव्य को गलत तरीके से करने के लिए प्रेरित किया था.
ईओडब्ल्यू का आरोप है कि इसके बाद तीनों ने मिलकर एजेंसी (ईओडब्ल्यू) में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया, ताकि नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ 2015 में दर्ज एक मामले में अपने पक्ष में जवाब तैयार कर हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके.
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