![](https://lalluram.com/wp-content/uploads/2024/11/lalluram-add-Carve-ok.jpg)
हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग सिर्फ पेड़ों को ही नहीं, बल्कि हजारों ग्रामीणों की रोजी-रोटी को भी नुकसान पहुंचा रही है। IIT इंदौर और भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (IIFM) के एक संयुक्त अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जंगल की आग से गैर-लकड़ी वन उत्पादों (NTFP) को भारी नुकसान हो रहा है, जिससे इन पर निर्भर आदिवासी और ग्रामीणों की कमाई प्रभावित हो रही है।
READ MORE: सहारा जमीन घोटाला: शिकायतकर्ता ने EOW में दर्ज कराए अपने बयान, लगाए ये आरोप
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद वन क्षेत्र में बार-बार लगने वाली आग से वहां मिलने वाले वन उत्पाद- महुआ, गोंद, चार बीज और जड़ी-बूटियां तेजी से नष्ट हो रहे हैं। इनसे हजारों ग्रामीणों की रोजी-रोटी चलती है, लेकिन अब जंगल की आग उनकी कमाई पर असर डाल रही है। IIT इंदौर और IIFM की संयुक्त रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अगर आग पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह जंगलों के साथ-साथ स्थानीय लोगों की आजीविका को भी खतरे में डाल सकता है। “जंगल की आग से जंगलों को तो नुकसान हो ही रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ रहा है, जिनकी जिंदगी इन वन उत्पादों पर निर्भर करती है। छोटे किसानों और वन उपज संग्रह करने वाले परिवारों की आय में भारी गिरावट आई है।
READ MORE: लल्लूराम की ग्राउंड रिपोर्ट: MP के कई जिलों में गर्मी से पहले गहराया जल संकट, PHE मिनिस्टर के गृह जिले में ही पानी की समस्या, डिंडौरी में महिला बोली- ‘संपतिया उइके को मंत्री कहने में शर्म आती है’
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जंगल की आग पूरी तरह नुकसानदायक नहीं होती। अगर इसे नियंत्रित तरीके से जलाया जाए, तो यह वन उत्पादों की पुनरुत्पत्ति में मदद कर सकती है। लेकिन समस्या यह है कि बिना निगरानी के आग फैल जाती है और कई बार यह फसलों और गांवों तक पहुंच जाती है। “ग्रामीण का कहना है कि पहले महुआ और गोंद से अच्छा पैसा कमा लेते थे, लेकिन अब आग लगने से सब जल जाता है। सरकार को कुछ करना चाहिए ताकि हम दोबारा सही तरीके से काम कर सकें।”
शोध में आग की रोकथाम और वन उत्पादों की सुरक्षा के लिए तीन बड़े सुझाव दिए गए हैं
1. जंगलों में निगरानी बढ़ाई जाए ताकि आग फैलने से पहले ही उसे रोका जा सके।2. महुआ लड्डू, गोंद कुकीज और हर्बल साबुन जैसे उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए, जिससे ग्रामीणों की आय बढ़ सके।3. सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करे ताकि ग्रामीणों को उनके उत्पाद का सही दाम मिल सके।
प्रो. सुहास जोशी, निदेशक, IIT इंदौर ने बताया कि “हमारी रिपोर्ट बताती है कि जंगल की आग सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि लोगों की आजीविका का भी मुद्दा है। सरकार को इन सुझावों को लागू करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने की जरूरत है।” जंगल की आग का असर सिर्फ पेड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हजारों ग्रामीणों की जिंदगी को भी प्रभावित कर रही है। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस रिपोर्ट के आधार पर क्या कदम उठाते हैं।
![](https://lalluram.com/wp-content/uploads/2025/02/Picture4-1-1024x732.jpg)
Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें