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जयपुर। भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास का तीसरा संस्करण ‘साइक्लोन-III’ वर्तमान में राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहा है. 10 फरवरी को शुरू हुआ 14 दिवसीय सैन्य अभ्यास 23 फरवरी को समाप्त होने वाला है.
संयुक्त परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने के लिहाज से डिज़ाइन किया गया यह अभ्यास गहन युद्ध कंडीशनिंग और सामरिक प्रशिक्षण के लिए दोनों देशों के कुलीन सैनिकों को एक साथ लाता है. भाग लेने वाले दलों ने असाधारण अनुशासन, टीमवर्क और अनुकूलनशीलता का प्रदर्शन किया है, जो चुनौतीपूर्ण वातावरण में संयुक्त मिशनों के लिए परिचालन उत्कृष्टता और तत्परता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.
साइक्लोन-III में क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) अभ्यास, उत्तरजीविता तकनीक, विध्वंस प्रशिक्षण और युद्ध चिकित्सा कौशल आदि पर व्यापक प्रशिक्षण शामिल है. इन उच्च-तीव्रता वाले अभ्यासों का उद्देश्य सैनिकों की जटिल परिचालन परिदृश्यों, विशेष रूप से रेगिस्तान और अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में नेविगेट करने और प्रतिक्रिया करने की क्षमता को बढ़ाना है.
चपलता, धीरज और सटीकता पर जोर देते हुए, सत्र यह सुनिश्चित करते हैं कि दोनों सेनाएँ वास्तविक दुनिया की युद्ध स्थितियों में एक सुसंगत इकाई के रूप में निर्बाध रूप से काम करें.
यह अभ्यास भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करता है. मिस्र की टुकड़ी भारत की सैन्य तकनीक और हथियार प्रणालियों से प्रत्यक्ष रूप से परिचित हो रही है, जिससे द्विपक्षीय रक्षा संबंध और मजबूत हो रहे हैं. इस तरह के सहयोग से न केवल सामरिक दक्षता बढ़ती है, बल्कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य सहयोग भी गहरा होता है.
यह अभ्यास 48 घंटे के गहन सत्यापन चरण में समाप्त होगा, जिसके दौरान दोनों टुकड़ियाँ नकली आतंकवाद-रोधी (सीटी) ऑपरेशन करेंगी. अंतिम चरण उच्च दबाव वाले वातावरण में सामरिक युद्धाभ्यास की योजना बनाने और उसे अंजाम देने की सैनिकों की क्षमता का कठोर परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस खंड में सैनिक संयुक्त सामरिक अभ्यास करते हुए, नकली खतरों को बेअसर करते हुए और यथार्थवादी परिचालन सेटिंग में अपने सीखे हुए कौशल को लागू करते हुए दिखाई देंगे.
अभ्यास साइक्लोन-III भारत और मिस्र के स्थायी रक्षा सहयोग और आतंकवाद-रोधी और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है. यह उच्च तीव्रता वाला अभ्यास भारत और मिस्र के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी का प्रमाण है, जो सैन्य सहयोग को मजबूत करेगा तथा दोनों देशों की विशिष्ट सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाएगा.