Lalluram Desk. अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हर साल 21 फरवरी को मनाया जाता है. ये दिवस न केवल भाषाई विविधता को सम्मान देने का दिन है, बल्कि यह हमें अपनी भाषा को सहेजने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी याद दिलाता है. छत्तीसगढ़ी कहावतें बहुत ही सरल और दिल के करीब होती हैं, जो रोजमर्रा की जिंदगी में अलग ही रंग भर देती है. हम यहां चंद प्रचलित कहावतों का जिक्र कर रहे हैं…

प्रचलित छत्तीसगढ़ी कहावतें

“चिंता करे चितई, घलो जरे घी”
अर्थ: जो होना है, वह तो होगा ही, बेवजह चिंता करने से कुछ नहीं बदलता.

“कथा के बईला ला दूब नइ मिलय”
अर्थ: झूठे लोगों की बातों में सच्चाई नहीं होती.

“जइसन करबो, तइसन भरबो”
अर्थ: जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल मिलेगा.

“धन के बड़ई पाय के नइ”
अर्थ: धन से ही प्रतिष्ठा नहीं मिलती, बल्कि अच्छे कर्म भी ज़रूरी हैं.

“गड़हा खोदबे त पानी मिलबे”
अर्थ: मेहनत करने पर ही सफलता मिलती है.

“जेकर लाठी ओकर भैंस”
अर्थ: जिसकी ताकत ज्यादा होती है, उसी की बात मानी जाती है.

“बुड़खा बैगा ले टोनही भले”
अर्थ: अयोग्य व्यक्ति से योग्य व्यक्ति बेहतर होता है, चाहे वह कमतर ही क्यों न हो.

“गोड़ म अँगरा त बेमार के खरचा”
अर्थ: पहले से ही मुश्किलों से जूझ रहे इंसान पर और मुसीबत आ जाना.

“सोन के सांप बर कांस के सांप भले”
अर्थ: अमीर लेकिन निर्दयी व्यक्ति से गरीब मगर ईमानदार इंसान अच्छा होता है.