रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्यगण लक्ष्मी वर्मा एवं दीपिका शोरी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की. आयोग की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर यह 304वीं सुनवाई थी, जबकि रायपुर जिले में 146वीं जनसुनवाई आयोजित की गई.

पहला मामला : पति की बेवफाई का मामला

आज की सुनवाई में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) के किसी अन्य महिला से अवैध संबंध हैं. दूसरी महिला ने बताया कि उसे भी आवेदिका का पति उसे उसके कार्यस्थल पर आकर तंग करता है और उसे बदनाम कर रखा है. आवेदिका के पति ने आवेदिका (पत्नी) और दूसरी महिला से कान पकड़कर मांफी मांगी. आवेदिका और अनावेदक (पति) का 2 वर्ष का पुत्र है. अनावेदक ने मांफी मांगी और भविष्य में आपसी सामंजस्य से रहना स्वीकार किया. आवेदिका को आयोग ने निर्देश दिया कि यदि अनावेदक (पति) के द्वारा दुर्व्यवहार या मारपीट किया जाता है तो आवेदिका उसके खिलाफ थाना में एफ.आई.आर दर्ज करा सकेगी. इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया.

दूसरा मामला : मां-बेटे का विवाद, बेटा 15 दिन में मकान खाली करेगा

एक प्रकरण में उभय पक्षों को सुना गया आवेदिका और अनावेदक मां-बेटा है. विगत् 9 माह पूर्व अनावेदक (बेटे) का विवाह हुआ है. आवेदिका के मकान के उपरी हिस्से में रहकर बेटा व बहू अलग खाना बना रहे है और आवेदिका से झगड़ा कर रहे है. आवेदिका की बहू भी आवेदिका को दहेज के मामले में फंसाने की धमकी देती है. आवेदिका अपने मकान का उपरी हिस्सा खाली कराकर उसे किराये से देकर अपना जीवन यापन करना चाहती है. अनावेदक (बेटा) एकाउंटेंट का कार्य करता है. उसे 18 हजार रू. वेतन मिलता है आवेदिका की बहू भी नर्स है उसे 10 हजार रू. मासिक वेतन मिलता है. दोनो पक्षों को सुना गया अनावेदक (बेटा) ने स्वीकार किया कि वह आवेदिका मां को कोई भी आर्थिक मदद नहीं करता है. अनावेदकगण (बेटा-बहू) मकान के जिस हिस्से में रहते है उसका 8 हजार रू. किराया मिलता, इसलिए आवेदिका अनावेदक (बेटा) को अपने घर से बाहर करना चाहती है जिससे उसे मानसिक शांति मिले और आर्थिक आमदनी मिले. आयोग की समझाइश पर अनावेदक ने स्वीकार किया कि वह 15 दिन के अंदर अपनी मां के घर का हिस्सा खाली कर दूसरी जगह रहने चला जायेगा. आयोग की ओर से काउंसलर नियुक्त किया गया, ताकि वह अनावेदिका को शांतिपूर्वक घर में रहने में सहयोग कर सके.

तीसरा मामला : दूसरी शादी का मामला, आयोग ने मांगी कोर्ट की जानकारी

एक अन्य प्रकरण में उभय पक्षों ने बताया की उनका विवाह 9 वर्ष पूर्व हुआ था और उनका 8 वर्ष का एक पुत्र है. वर्तमान में आवेदिका ढाई वर्ष से अलग रह रही है व पार्लर का कार्य करके 6 हजार रू. कमाती है और अपने बच्चे का पालन-पोषण कर रही है. आवेदिका का पति अनावेदक पुलिस कांस्टेबल है. अभी सस्पेंड होने की वजह से पुलिस लाइन में अटैच है. वर्तमान में अनावेदक को 22 हजार रू. मासिक वेतन मिलता है. घरेलू हिंसा व मारपीट के कारण आवेदिका ने अनावेदक के विरूध्द एफ.आई आर. दर्ज करवाया था, जिससे कांस्टेबल सस्पेंड है. अनावेदक सिपाही ने आवेदिका से बिना तलाक लिए दूसरा विवाह कर लिया. शासकीय सेवा में रहते हुए बिना तलाक लिए दूसरा विवाह करना कानूनी अपराध है. आयोग द्वारा अनावेदक से पुछने पर उसने बताया कि अनावेदक के खिलाफ चालान प्रस्तुत हो चुका है. उसने एक पर्ची पर लिखकर अपराध क. केस नं. व पेशी की तारिख बताई. न्यायालय का नाम पूछने पर अनावेदक ने कोई जवाब नहीं दिया. आयोग द्वारा निर्देश दिया गया कि आगामी सुनवाई में अनावेदक न्यायालय का नाम, ऑर्डरशीट की प्रमाणित प्रतिलिपि लेकर आयोग के समक्ष उपस्थित हो ताकि प्रकरण को आगे सुना जा सके.

चौथा मामला : तलाक के बाद संपत्ति विवाद, पूर्व पत्नी ने मानी गलती

अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया. आवेदिका के स्व. पति पूर्व में अनावेदिका के साथ विवाहित थे. जिससे उनका विधिवत् तलाक हो फैमली कोर्ट रायपुर में 2008 में हो चुका है. उक्त तलाक के दौरान अनावेदिका के बच्चों के नाम पंडरी स्थित मकान आवेदिका के पति द्वारा दे दिया गया था. इस संबंध में दोनो पक्षों के द्वारा आपसी रजामंदी से तलाक निष्पादित कराया गया था कि भविष्य में किसी भी तरह का दावा नहीं करेंगे जोकि तलाकनामा में उल्लेखित है. तलाक के पश्चात् आवेदिका का विवाह मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में निष्पादित हुआ. आवेदिका के पति इंडियन आर्मी में हवलदार के पद पर पदस्थ थे. आवेदिका से उनकी दो संताने है तथा अनावेदिका से भी दो संताने है. आवेदिका के पति की मृत्यु 2021 में कोविड से हुई उनके सर्विस रिकॉर्ड में आवेदिका व उसके बच्चों का नाम दर्ज है. अनावेदिका (पहली पत्नी) अपने दोनो बच्चों को अपना सरनेम देवांगन ही लिखाते आ रही है इससे स्पष्ट है कि आवेदिका के पति से उनके दोनो बच्चों का संबंध तलाक दिनांक से समाप्त हो गया था. पूर्व पत्नी से तलाक के बाद आवेदिका के स्व. पति के जीवनपर्यंत किये गये कार्य व कमायी गयी संपत्ति से दो मकान बनाये है. जिसपर आवेदिका व उसके बच्चों का हक था, जिसे अनावेदिका व उसके बच्चों ने स्व. पति के जीवन पर्यंत चुनौति नहीं दी. आयोग ने कहा कि पूर्व पति के जीवनकाल में यदि कोई कार्य किया होता तो उनको अब तक न्यायालय से निर्णय मिल चुका होता. लेकिन वर्ष 2008 के 17 साल बाद 2025 में अनावेदिका द्वारा आवेदिका के घर में घुसकर जबरदस्ती प्रापर्टी के संबंध में दबाव बनाकर गाली-गलौच किया जा रहा है. आयोग की समझाईश पर अनावेदिका ने इस बात की स्वीकारोक्ति दी कि वह आवेदिका के घर में जाकर किसी भी तरीके से दबाव व गाली-गलौच नहीं करेगी. अन्य अनावेदकगणों को अगली सुनवाई में अनिवार्य रूप से उपस्थित कराने का निर्देश दिया गया कि वह आयोग के समक्ष आकर सहमती दे कि आवेदिका के घर में किसी प्रकार का दखल नहीं देंगे तो प्रकरण समाप्त कर दिया जायेगा.

पांचवा मामला : भरण-पोषण का आदेश

एक प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) का अन्य महिला से संबंध है और वह आवेदिका से मारपीट व गाली-गलौच करता है आवेदिका के विवाह को 9 वर्ष हो चुका है. आवेदिका अपने बच्चे को लेकर ढेड़ वर्ष से अलग रह रही है. अनावेदक (पति) प्लास्टिक की खुर्सीयां बेचकर महिने का 15 से 20 हजार कमाता है. वह आवेदिका और उसके बच्चे के लिए काई भरण-पोषण नहीं देता है. आयोग की समझाइश पर अनावेदक बच्चे के भरण-पोषण के लिए 3 हजार रू. प्रति माह देने के लिए सहमत हुआ. आयोग के समक्ष अनावेदक ने आवेदिका को इस माह के लिए 1500 रू. नगद दिया. मार्च माह से वह 3 हजार रू. प्रति माह आवेदिका को आर.टी.जी.एस. के माध्यम से भरण-पोषण की राशि देगा. आयोग की ओर से 1 वर्ष तक निगरानी की जायेगी इसके पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा.