महाकुंभ में हर रोज करोड़ों श्रद्धालु पहुंचकर गंगा स्नान कर रहे हैं. अब तक 58 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा में स्नान किया है. इस बीच गंगा-यमुना नदी के पानी को लेकर मंगलवार को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई. जिसे UPCPCB ने मानने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि गंगा जी का पानी सही है. अब इसे लेकर अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने X पर इस संबंध में पोस्ट किया है.

अखिलेश ने लिखा है कि ‘अब तक लोग गंगा जल लेकर सच बोलते थे, आज उप्र की भाजपा सरकार द्वारा गंगा जल के लिए ही झूठ बोला और बुलवाया जा रहा है. डबल इंजन की सरकार होने की वजह से उप्र सरकार ये भी नहीं कह सकती है कि गंगा जी के ‘जल-मल संक्रमण’ की रिपोर्ट किसी ने साजिशन बनवाई है. अगर ये रिपोर्ट दिल्ली-लखनऊ के बीच संघर्ष और मंथन की उपज है तो ये ‘राजनीतिक संक्रमण’ न देश के लिए अच्छा है, न उत्तर प्रदेश के लिए.’

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भंग कर देना चाहिए- अखिलेश

उन्होंने आगे लिखा कि ‘अगर लोगों की व्यक्तिगत राय ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ से ज्यादा सही है तो बोर्ड को भंग कर देना चाहिए. जो लोग उप्र शासन-प्रशासन के दबाव में आकर ऐसे भ्रामक वीडियो डाल रहे हैं न्यायालय उनका संज्ञान ले और साथ ही ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ भी उनके खिलाफ सक्रिय हो क्योंकि इस मुद्दे का सीधा संबंध जनता के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा है. उप्र सरकार लोगों के जीवन से खिलवाड़ न करे.’

एनजीटी में दाखिल है याचिका

बता दें कि महाकुंभ के दौरान गंगा-यमुना के पानी की गुणवत्ता को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने रिपोर्ट दाखिल की है. जिसमें बताया गया कि 73 अलग-अलग जगहों से गंगा और यमुना नदी के पानी के सैंपल लिए गए थे. जिनको 6 पैमानों पर जांचा गया है. जांच में पाया गया कि पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से काफी अधिक मिला है. सामान्य तौर पर एक मिलीलीटर पानी में 100 फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया होते हैं. लेकिन अमृत स्नान से एक दिन पहले यमुना नदी के सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 2300 पाया गया. वहीं संगम के सैंपल में 2000 फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाए गए. जो टोटल फीकल कोलीफॉर्म 4500 है. इतना ही नहीं कई जगहों से लिए गए सैंपल में भी फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया काफी अधिक पाए गए. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि पानी को बिना प्यूरिफिकेशन और डिसइंफेक्ट किए नहाने के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के एनजीटी के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है.