Telangana Tunnel Collapse: तेलंगाना के नागरकुरनूल (Nagarkurnool Tunnel Collapse) जिले में SLBC (श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल) टनल हादसे में 8 मजदूर पिछले 24 घंटे से फंसे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में फिलहाल दिक्कत आ रही है। टनल के अंदर पानी भरा है। रेस्क्यू के लिए NDRF के 145 और SDRF के 120 जवान तैनात हैं। सेना की एक इंजीनियर रेजिमेंट, जो सिकंदराबाद में इन्फैंट्री डिवीजन का हिस्सा है। उसे भी स्टैंड बॉय पर रखा गया है। घुटनों तक कीचड़ है। सुरंग के अंदर ऑक्सीजन भेजी जा रही है। पानी निकालने के लिए 100 हॉर्स पॉवर का पंप मंगवाया गया है।
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SLBC टनल नागरकुरनूल जिले को आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जोड़ती है। नागरकुरनूल में भगवान शिव का उमा महेश्वरम मंदिर भी है, जिसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का उत्तरी प्रवेशद्वार कहा जाता है। इस टनल का काम काफी समय से रुका था, चार दिन पहले ही दोबारा काम शुरू हुआ था।
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फंसे हुए लोगों में से दो व्यक्ति इंजीनियर और दो ऑपरेटर हैं। चार अन्य मजदूर हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। सूत्रों ने बताया कि फंसे हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में ताजा हवा पहुंचाई जा रही है।
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सुरंग के अंदर से आ रही तेज आवाजें
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरंग में प्रवेश करने वाली टीमों का मार्गदर्शन करने के लिए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर तक रास्ता साफ है, और सुरंग के 14 किलोमीटर पर ढांचा ढह गया है। हालांकि, उन्होंने बताया कि बचाव दल सुरंग की समग्र स्थिति को लेकर आशंकित हैं। सूत्रों ने बताया, “घटनास्थल पर बहुत सारा मलबा जमा हो गया है, इसलिए बचाव दल आगे बढ़ने और किसी भी संभावित खतरे का पता लगाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। बचाव अभियान पूरी रात जारी रहेगा।” सूत्रों ने बताया कि टीमें अंदर जाने से हिचकिचा रही हैं, क्योंकि अंदर से अभी भी तेज आवाजें आ रही हैं।
पीएम मोदी ने घटना को लेकर सीएम रेड्डी से की बात
तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने यहां से लगभग 150 किलोमीटर दूर नागरकुरनूल जिले में दुर्घटना स्थल पर संवाददाताओं को बताया कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सरकार सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की भी मदद ले रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को फोन कर घटना की जानकारी ली और बचाव अभियान के लिए केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और सेना का एक दल वहां पहुंच रहा है।
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देश के सर्वश्रेष्ठ सुरंग विशेषज्ञों को बुला रहे- सिंचाई मंत्री
वहीं, इस घटना पर तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में हुई एक घटना (सिलक्यारा सुरंग हादसे) में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि श्रमिक सुरंग के 14 किलोमीटर भीतर फंसे हुए हैं. राज्य सरकार उन आठ लोगों की जान बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखंड की घटना में लोगों को बचाने में शामिल रहे विशेषज्ञों से भी बात की है। रेड्डी ने बताया कि यह घटना सुरंग के 14 किलोमीटर अंदर हुई है, इसलिए कुछ चुनौतियां पेश आएंगी लेकिन, हम बचाव प्रयासों की निगरानी के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ सुरंग विशेषज्ञों को बुला रहे हैं।
टनल में फंसे मजदूरों के नाम…
- मनोज कुमार
- श्री निवास
- संदीप साहू
- जगता एक्सेस
- संतोष साहू
- अनुज साहू
- सनी सिंह
- गुरप्रीत सिंह
इस तरह हुआ हादसा
दरअसल 22 फरवरी (शनिवार) सुबहर सुबह पहली पाली में 50 लोग 200 मीटर लंबी सुरंग में बोरिंग मशीन लेकर सुरंग के अंदर गए। अधिकारी ने बताया, “कार्य के सिलसिले में वे सुरंग के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए थे, तभी अचानक छत ढह गई। मशीन के आगे चल रहे दो इंजीनियरों समेत आठ सदस्य फंस गए, जबकि 42 अन्य सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर आ गए।” उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की मदद से उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अधिकारी ने कहा, “पानी निकालने की प्रक्रिया जारी है…यह एक सतत प्रक्रिया है जो जटिल है।” ये कर्मी सुरंग के 14 किलोमीटर अंदर फंसे हुए हैं। मंत्री ने कहा कि उन्होंने एक तेज आवाज भी सुनी और उन्हें सुरंग के बाहर कुछ “भूगर्भीय हलचल” महसूस हुई।
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