Ministry of Law and Justice: कानून मंत्रालय की तरफ से वकीलों को जनसेवा से जोड़ने के लिए एक गाइडलाइन बनाई जा रही है. इसके तहत हर वकील (Lawyer) को साल में कम से कम एक बार गरीब व्यक्ति का केस फ्री में लड़ना होगा. आने वाले समय में वकीलों के लिए गरीब और जरूरतमंद लोगों की कानूनी मदद करना अनिवार्य होगा.
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भारत के कानून मंत्रालय की तरफ से आंतरिक रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, देश में करीब 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कानूनी सहायता पाने के पात्र हैं, लेकिन उन्हें फ्री कानूनी सहायता नहीं मिल पा रही है. इस आंतरिक रिपोर्ट को जारी करने के साथ-साथ कानून मंत्रालय की तरफ से कुछ सुझाव दिए गए हैं. सुझाव है कि देश के हर एक वकील को साल में कम से कम एक गरीब व्यक्ति का केस फ्री लड़ना अनिवार्य किया जाए. इससे उन लाखों लोगों की मदद होगी, जो वकील की फीस नहीं दे सकते हैं.
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इस सुझाव के तहत केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से विचार किया जा रहा है कि ऐसी गाइडलाइंस बनाई जाएं, जिससे वकीलों को जनसेवा से जोड़ा जा सके. इस गाइडलाइंस के तहत सभी वकीलों के लिए गरीब और जरूरतमंद लोगों की कानूनी मदद करना अनिवार्य किया जाए, ताकि ऐसे लोगों को फ्री कानूनी मदद मिल सके.
4 लाख से ज्यादा कैदी, 70 प्रतिशत विचाराधीन
कानून मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 4 लाख से ज्यादा कैदी जेलों में हैं. इनमें 70 प्रतिशत कैदी विचाराधीन मामलों की वजह से जेल में सजा काट रहे हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि विचाराधीन मामलों के 90 प्रतिशत कैदी निःशुल्क कानूनी सहायता पाने के योग्य हैं, मगर उन्हें यह मदद नहीं मिल रही।
जारी होगी गाइडलाइन
कानून मंत्रालय की तरफ से इसको लेकर वरिष्ठ वकीलों, विशेषज्ञों, विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारियों से सुझाव लिए गए. अब मंत्रालय इन सुझावों को शामिल करके एक गाइडलाइंस बना रहा है. जल्द ही इसका ड्राफ्ट तैयार करके पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा. इसके बाद इन्हें लागू करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास भेजा जाएगा.
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इन सुझावों पर चर्चा
- वकीलों का पारिश्रमिक बढ़ाने और प्रमाण पत्र देने का सुझाव दिया गया है। हर वकील साल में कम से कम एक केस गरीब व्यक्ति के लिए फ्री लड़ेगा. इसको लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से निर्देश जारी किए जाएंगे.
- ऐसा करने वाले वकील ही राज्य बार काउंसिल या बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कोई राहत प्राप्त करने के योग्य होंगे.
- केंद्र सरकार की मदद से सुप्रीम कोर्ट और सभी हाई कोर्ट के वकीलों को जोड़कर एक पैनल बनाया जाएगा. यह पैनल गरीब और जरूरतमंदों को फ्री कानूनी सहायता देगा.
- फ्री केस लड़ने वाले वकील मामले के किसी भी पक्ष से पैसे की मांग नहीं कर सकेंगे। इस पर बार एसोसिएशन की तरफ से निगरानी की जाएगी.
- गरीब व्यक्ति का केस लड़ने के लिए नियुक्त वकील को उसके योगदान के आधार पर बार एसोसिएशन द्वारा विशेष प्रमाणपत्र दिया जाएगा.
- वरिष्ठ वकील, न्यायिक अधिकारी, हाई कोर्ट जज, सुप्रीम कोर्ट जज जैसे पदों के लिए आवेदन करने वाले वकीलों की योग्यता के आकलन में जनहित में लड़े गए केस को तरजीह दी जाएगी.
- विधिक सेवा प्राधिकरण में वकीलों को केस के लिए मिलने वाले पारिश्रमिक को बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है. फिलहाल, वकीलों को 1500 से 7500 तक पारिश्रमिक मिलता है.
- देशभर में फ्री कानूनी सलाह की जानकारी देने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण जागरूकता अभियान चलाएगा.
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