Telangana Tunnel Accident: तेलंगाना के नगरकुर्नूल (Nagarkurnool) में हुए सुरंग हादसे में अब भी टनल के अंदर 8 मजदूर फंसे हुए हैं. शनिवार को हुए हादसे के बाद से मजदूरों को बाहर निकालने रेस्क्यू ऑपरेशन तीन दिनों से जारी है. इस बचाव अभियान में अब सिलक्यारा सुंरग (SILKYARA TUNNEL) हादसे में शामिल बचाव दल के लोग शामिल हो गए है. फिलहाल सुरंग में हो रहे पानी का रिसाव और दलदल रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा बन रही है, जिससे उम्मीदें खत्म होती नजर आ रही है. टनल के अंदर पानी के रिसाव से पत्थर और मलबा धंसते जा रहे हैं. सबसे बड़ी चुनौती ये है कि टनल में फंसे किसी भी शख्स से अबतक संपर्क नहीं हो पाया है. 

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तेलंगाना के नगरकुर्नूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग का एक हिस्सा धंस जाने के कारण मलबे में 8 मजदूर सुरंग के अंंदर फंसे हुए है. श्रमिकाें को निकालने तीन दिनों से रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है. अब इस ऑपरेशन में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के अलावा उत्तराखंड के सिलक्यारा में हुए सुरंग हादसे में शामिल बचाव दल के 6 लोग शामिल हो गए हैं.

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फिलहाल तेलंगाना सुरंग में रेस्क्यू टीम के सामने पानी और वहां जमा हुई गाद बहुत बड़ी चुनौती है. इसी वजह से टीमें टनल बोरिंग मशीन और मलबे से आगे नहीं बढ़ पाई हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया है कि तेलंगाना सरकार ने उत्तराखंड सुरंग बचाव दल को रैट-होल माइनर्स के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद के लिए बुलाया है. क्योंकि उन्हें इसमें महारत हासिल है. ऐसी स्थिति में ज्यादा लोगों का होना बेहतर है. हमें उम्मीद है कि सभी की जान बच जाएगी. बता दें कि सीएम रेवंत रेड्डी इस रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं. तेलंगाना के मंत्री भी लगातार घटनास्थल का दौरा कर वहां की जानकारी उन तक पहुंचा रहे हैं. 

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तेलंगाना सरकार के मंत्री उत्तम रेड्डी ने बताया कि टनल के प्राकृतिक पत्थर खिसकने की वजह से पानी और मिट्टी अचानक अंदर घुस गई, जिससे हालात और गंभीर हो गए. टनल में 12-13 फीट तक पानी भर गया है, जिससे राहत कार्य प्रभावित हो रहा है.

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सिलक्यारा सुरंग हादसे फंसे थे 41 मजदूर 

बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बीते साल सिलक्यारा सुरंग में नाइट शिफ्ट खत्म कर मजदूर बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे. इसी दौरान सुबह करीब पांच बजे सुरंग के करीब 200 मीटर अंदर भूस्खलन हुआ और इसमें 41 मजदूर फंस गए थे.

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मजदूरों के रेस्क्यू के लिए एसडीआरए, एनडीआरएफ समेत कई टीमें लगी हुई थीं, लेकिन बाद रैट माइनर्स टीम ने ऑपरेशन चलाकर उन्हें 17 दिनों बाद बाहर निकाला. इस रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे. 4.86 किमी लंबी सुरंग की लागत करीब 850 करोड़ रुपये थी. 

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