शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाने की परंपरा सामान्य हिंदू रीति-रिवाजों में नहीं मिलती, लेकिन कुछ विशेष स्थानों पर लोक मान्यताओं के अनुसार ऐसा किया जाता है. मान्यता है कि इस प्रक्रिया से त्वचा संबंधी रोग और चर्म रोग दूर हो जाते हैं.

खिड़गांव, कोल्हापुर (महाराष्ट्र)

यहां स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर में श्रद्धालु झाड़ू चढ़ाकर पूजा करते हैं. मान्यता है कि इससे चर्म रोग और अन्य बीमारियों से मुक्ति मिलती है. स्थानीय भक्त इसे आस्था और उपचार का एक माध्यम मानते हैं.

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सादतबाड़ी गांव, संभल (उत्तर प्रदेश)

यहां के पातालेश्वर महादेव मंदिर में झाड़ू चढ़ाने की परंपरा है. मान्यता है कि इससे त्वचा संबंधी रोग और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. इन स्थानों पर झाड़ू को शुद्धि और बीमारी निवारण का प्रतीक माना जाता है.

तांत्रिक परंपराओं में झाड़ू का महत्व

कुछ स्थानों पर विशेष तांत्रिक विधियों में झाड़ू का उपयोग शुद्धिकरण और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है.

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