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शशांक द्विवेदी, खजुराहो। बुंदेलखंड की सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक ‘मतंगेश्वर महादेव’ के विवाह आयोजन की शुरुआत आज से हो चुकी है। बुंदेलखंड में तीन दिवसीय शिव पार्वती विवाह होगा, जहां आज हल्दी की रस्म धूमधाम से मनाई गई, और स्थानीय महिलाओं ने मंगल गीत भी गाए। आज से शुरू हुए शिव पार्वती विवाह को पूरे बुंदेली पारंपरिक रीति रिवाज से मनाया जाता है।
आज से तीन दिन मनेगा उत्साह
बुंदेलखंड में 3 दिन की परंपरा अनुसार, पहले दिन हल्दी और मंडप, दूसरे दिन “मायना” “मेहंदी” और संगीत वहीं शिवरात्रि के दिन विवाह की रस्म निभाई जाती है, जिसमें बारात और भावर का आयोजन किया जाता है। जिसमें वर पक्ष और वधु पक्ष अपनी अपनी रस्म निभाते हैं और सारी रात विवाह का आयोजन विधिवत तरीके से चलता है।
भगवान शिव और पार्वती का हुआ था विवाह
प्राचीन मान्यता के अनुसार खजुराहो ही वह स्थान है, जहां भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ था। मतंगेश्वर का एक अर्थ ‘प्रेम का देवता’ भी होता है। इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है, यहां पर स्थापित शिवलिंग है, जो करीब तीन मीटर ऊंचा और उतना ही गहरा है, जिसका व्यास एक मीटर से भी ज्यादा है।
क्या है इसकी मान्यता
कुछ मिथक अनुसार युधिष्ठिर के पास ‘मरकत मणि’ थी, जिसे युधिष्ठिर ने मतंगेश्वर महादेव शिवलिंग में स्थापित कर दिया था। वहीं कुछ मिथक राजा चंद्रदेव को अपने राज्य की सुरक्षा के लिए एक मरकत मणि मिली थी, जो इस शिवलिंग के अंदर स्थापित है।
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