रायपुर. एक तरफ राज्य सरकार आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए भारी-भरकम यूनिवर्सिल हेल्थ केयर स्कीम लाने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजधानी में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं का पर्याप्त लाभ लोगों तक नहीं पहुंचा पा रही है. हम बात कर रहे हैं करोड़ों की लागत से बनाए गए रायपुर जिला अस्पताल की, जहां गिनती के पहुंचने वाले मरीज को डॉक्टर और स्टाफ नहीं होने की वजह से बिना इलाज के वापस लौटना पड़ता है.
राजधानी में पंडरी स्थित जिला अस्पताल इन दिनों केवल मुलाहिजा सेंटर बनकर रह गया है. अस्पताल में तैनात ज्यादातर डॉक्टरों के कमरों में ताला लगा रहता है. वहीं जो डॉक्टर ड्यूटी पर रहते हैं, उन्हें मुलाहिजा करने से ही फुर्सत नहीं मिलती तो मरीजों के स्वास्थ्य का कहां से परीक्षण करेंगे. लल्लूराम डॉट कॉम के रिपोर्टर जब अस्पताल पहुंचे तो मेडिसीन विभाग से लेकर एक्सरे तक, स्त्री रोग से लेकर एनसीडी क्लिनिक तक हर जगह ताला लगा नजर आया.
स्टाफ की कमी का दे रहे हवाला
ओपीडी में पसरे सन्नाटा को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह राजधानी का जिला अस्पताल है. बस्तर के जिला अस्पताल में ऐसी स्थिति नजर नहीं आती है. लेकिन इस स्थिति के लिए भी अधिकारियों ने अपने जवाब तैयार कर लिए हैं. जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरके सोनवानी का कहना है कि डॉक्टरों और क्लास टू, थ्री व फोर के अलावा अन्य स्टॉफ की कमी है. धीरे-धीरे सभी कमियों को पूरा किया जाएगा. अभी अस्पताल में लगभग 40 बैड है, लेकिन बहुत ही जल्द 100 बिस्तर पूरा कर लिया जाएगा. इसके लिए कलेक्टर ने भी आदेश दे दिए हैं.
सात दिन में एक हजार से ज्यादा मुलाहिजा
वहीं अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि सिर्फ 7 दिन में ही एक हजार से ज्यादा मुलाहिजा के केस आए हैं. इससे हिसाब लगाया जा सकता है कि हर दिन सौ से ज्यादा मुलाहिजा के केस आते हैं. अधीक्षक ने बताया कि 100 बेड जिला अस्पताल में 22 डॉक्टर हैं, जिसमें 5 विशेषज्ञ है, 40 नर्स हैं. इसके अलावा अस्पताल में एक्स-रे पैथोलाजी, फिजियोथैरेपी, पैथोलॉजी की सुविधाएं हैं. आने वाले दिनों में सोनोग्राफी और ब्लड बैंक की भी सुविधा मरीजों को मुहैया कराई जाएगी.
मेकाहारा पर पड़ रहा दबाव
रायपुर जिला अस्पताल में मरीजों का उचित इलाज नहीं होने का असर डॉ. अंबेडकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (मेकाहारा) पर पड़ रहा है. जिला अस्पताल में उपचार नहीं होने से छोटी-मोटी समस्याओं के लिए मरीज मेकाहारा पहुंचते हैं. इससे पहले से ही इलाज के लिए मेकाहारा में पहुंचे छत्तीसगढ़ के दूसरे जिलों के साथ-साथ पड़ोसी राज्य ओडिसा, झारखंड के अलावा मध्यप्रदेश के मरीजों की वजह से अस्पताल में हर समय अफरा-तफरी की स्थिति नजर आती है.