दिल्ली एम्स(Delhi AIIMS) के डॉक्टरों ने एक सफल ऑपरेशन करके एक 17 साल के लड़के के पेट से बाहर लटक रहे दो अतिरिक्त पैर को बाहर निकाला है. डॉक्टरों ने बताया कि इस स्थिति को ‘इनकंप्लीट पैरासाइट ट्विन’ कहा जाता है और वैश्विक स्तर पर आज तक केवल 40 ऐसे मामले सामने आए हैं जो कम उम्र में पता चला है.

जन्म से ही उसके पेट पर दो अतिरिक्त पैर थे, जो उसके अधूरे विकसित जुड़वां भ्रूण का हिस्सा थे. गर्भ में अविकसित बच्चे के पैर उसके विकसित बच्चे के शरीर में जुड़े हुए थे, जिससे ये पैर आंतरिक अंगों पर दबाव डालते जा रहे थे, जो उसकी जान को खतरा था. एम्स के डॉ. कृष्णन ने बताया कि यह इस उम्र के किसी बच्चे में देश का पहला ऑपरेशन था. आमतौर पर जन्मजात विकृतियों को जितनी जल्दी ठीक किया जाए, उतना बेहतर परिणाम मिलता है.

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डॉ. असुरी कृष्णा, सर्जरी विभाग में अतिरिक्त प्रोफेसर, ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बलिया से एक लड़का जनवरी के अंतिम हफ्ते में अपने पेट से दो अतिरिक्त पैर निकालकर हमारे पास आया था. हमने ट्वीन प्रेगनेंसी के बारे में सुना था कि कभी-कभी दो जुड़वा भ्रूण गर्भ में एक-दूसरे से अलग नहीं होते और बाद में जुड़े हुए जुड़वां के रूप में पैदा होते हैं.  यह स्थिति इनकंप्लीट पैरासाइट ट्विन कहलाती है, जिसमें गर्भ में जुड़वां बच्चों में से एक का विकास रुक जाता है, और अविकसित बच्चा दूसरे के साथ जुड़ा रहता है, जिससे बच्चा चार पैर या हाथ के साथ पैदा होता है.

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यह मामला बेहद दुर्लभ था

 असुरी कृष्णा ने कहा कि ऐसे मामले बहुत दुर्लभ होते हैं जब जुड़वा बच्चों में से एक पूरी तरह से विकसित नहीं होता है. डॉक्टर ने आगे कहा कि अधिकांश ऐसे मामले कम उम्र में होते हैं, लेकिन यह मरीज 17 साल की उम्र में आया क्योंकि उसे पहले कहीं उचित इलाज नहीं मिला. इस कठिन मामले में कई विभागों के विशेषज्ञों को शामिल होना पड़ा.

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सर्जरी के 4 दिन मिली छुट्टी

डॉक्टर ने बताया कि मरीज को 8 फरवरी को दो घंटे का ऑपरेशन किया गया था और उसे 24 घंटे तक आईसीयू में निगरानी के लिए रखा गया था. उन्होंने कहा कि हमने पैरासाइट ट्वीन के साथ-साथ लड़के के पेट में मौजूद दो बड़े सिस्ट को सफलतापूर्वक अलग करने में सफलता मिली, जो हमें लगता है कि दूसरे जुड़वां बच्चे का अपूर्ण शरीर है. इलाज पहली बार एम्स दिल्ली में किया गया था.

यह दुर्लभ सर्जरी एम्स के डॉक्टरों की एक बड़ी टीम ने की, जिसमें सर्जन डॉ. आसुरी कृष्णन, डॉ. वी.के. बंसल, प्लास्टिक सर्जन डॉ. मनीष सिंघल, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. राकेश और रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अंकिता अग्रवाल थे.