India-UK Free Trade Agreement: भारत ने वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ 13 मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और छह तरजीही समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. इन समझौतों के जरिए भारत अपने घरेलू उद्योग की पहुंच वैश्विक बाजारों तक बढ़ाना चाहता है.

टो: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय के दौरे के दौरान यूके के व्यापार और व्यापार राज्य सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ चर्चा करते हुए. इस तस्वीर को @PiyushGoyal द्वारा 24 फरवरी, 2025 को एक्स के माध्यम से जारी किया गया था.

2014 से अब तक देश ने मॉरीशस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) के साथ ऐसे 3 मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत यूके और ईयू के साथ इसी तरह के समझौतों पर सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है.

24 फरवरी को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूके के व्यापार और व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित एफटीए के लिए बातचीत फिर से शुरू करने की घोषणा की है.

भारत और यूके के बीच यह वार्ता 8 महीने से अधिक समय के बाद फिर से शुरू हो रही है. इससे पहले दोनों देशों के बीच 13 जनवरी 2022 को बातचीत शुरू हुई थी. अब तक 14 दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है.

जानिए इस एग्रीमेंट से देश को क्या लाभ होंगे:

निर्यात में वृद्धि: एफटीए के माध्यम से भारत को ब्रिटेन को अपनी वस्तुएं और सेवाएं निर्यात करने में आसानी होगी. इससे भारत के निर्यात में वृद्धि हो सकती है, खासकर उन उत्पादों और सेवाओं के लिए जो यूके में उच्च मांग में हैं.

नई बाजार पहुंच: यूके के साथ व्यापार समझौते से भारत के घरेलू उद्योग को यूरोपीय और वैश्विक बाजारों में बेहतर पहुंच मिल सकती है. यह भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत बना सकता है.

आर्थिक साझेदारी में वृद्धि: भारत और यूके के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत होने से दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ेगा. इससे दोनों देशों के लिए निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं, और व्यापारिक गतिविधियों में गति आ सकती है.

तकनीकी और सेवा क्षेत्र में लाभ: भारत का सेवा क्षेत्र, जैसे कि आईटी, शिक्षा, और हेल्थकेयर, यूके में पहले से ही मजबूत है. एफटीए के तहत भारतीय कंपनियों को इन क्षेत्रों में और भी अवसर मिल सकते हैं.

नौकरी और रोजगार के अवसर: व्यापार बढ़ने से भारत में नौकरी के अवसर भी बढ़ सकते हैं. विशेष रूप से निर्यात और सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन हो सकता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.विकसित देशों के साथ व्यापार संबंधों में मजबूती: यूके जैसे विकसित देश के साथ एफटीए से भारत के पश्चिमी व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंध और मजबूत होंगे, जो कि भारत के आर्थिक विकास में योगदान करेगा.

व्यापारिक समझौते कितने प्रकार के होते हैं?

 मुक्त व्यापार समझौतों को उनकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग नाम दिए जाते हैं. इनमें PTA (तरजीही), RTA (क्षेत्रीय) और BTA (द्विपक्षीय) शामिल हैं. WTO ऐसे सभी आर्थिक अनुबंधों को RTA नाम देता है. 

PTA में कुछ वस्तुओं को शुल्क मुक्त (भारत-थाईलैंड) बनाया जाता है. दूसरी ओर CECA (व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता) या CEPA (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता- भारत-कोरिया, जापान) या TEPA (व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता)- इनका दायरा अधिक है.

इंडिया ने किन देशों के साथ इन समझौतों पर सिग्नेचर किए हैं ?

भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, मॉरीशस, आसियान और ईएफटीए ब्लॉक के साथ व्यापार समझौते किए हैं.

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ सौदे हासिल करने के बाद भारत ने अपना एफटीए फोकस पूर्व (आसियान, जापान, कोरिया) से हटाकर पश्चिमी भागीदारों पर केंद्रित कर दिया है. 

भारत अब निर्यात बढ़ाने और पश्चिम की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए यूके, यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ एफटीए को प्राथमिकता दे रहा है.