रायपुर। प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ में “प्रकृति परीक्षण अभियान” चलाया जा रहा है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन और प्राकृतिक संसाधनों का सतत् उपयोग सुनिश्चित करना है.

छत्तीसगढ़, जो अपनी समृद्ध वन संपदा, जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन के लिए जाना जाता है, ने इस अभियान में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं.छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में शुरू किए गए प्रकृति परीक्षण अभियान को राज्य में बड़ी सफलता मिल रही है. यह अभियान पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता के संरक्षण और सतत विकास को ध्यान में रखते हुए चलाया जा रहा है.

अभियान का उद्देश्य

प्रकृति परीक्षण अभियान का मुख्य उद्देश्य राज्य में वन संरक्षण, जल स्रोतों की शुद्धता, जैव विविधता की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना है. इस योजना के तहत स्थानीय समुदायों को जागरूक किया जा रहा है और उन्हें पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

प्रकृति परीक्षण अभियान में छत्तीसगढ़ की उपलब्धियाँ

भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित प्रकृति परीक्षण अभियान में छत्तीसगढ़ ने जो उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है, राज्य ने जो राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान पाया है, उसमें राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की भूमिका सर्वोपरि है. राज्य ने स्ट्राइक रेट लक्ष्य में देशभर में तीसरा स्थान और कुल प्रकृति परीक्षण मानकों पर नौवां स्थान प्राप्त किया है.

इस उपलब्धि के लिए छत्तीसगढ़ केन्द्रीय आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव के हाथों छत्तीसगढ़ को प्रशस्ति पत्र और ट्रॉफी से सम्मानित हुआ. जहांगीर भाभा थियेटर, मुंबई में आयोजित अभियान के समापन समारोह में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को ग्रहण किया अभियान के राज्य समन्वयक डॉ. संजय शुक्ला ने, छत्तीसगढ़ की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने, आयुष विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि “यह स्वास्थ्य और आयुर्वेद के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की बढ़ती उत्कृष्टता का प्रमाण है, जिससे राज्य में आयुष आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सशक्त किया जाएगा”

अब तक की उपलब्धियां

राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अभियान के तहत अब तक कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं-

वृक्षारोपण अभियान – बीते छह महीनों में राज्यभर में 50 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं.
जल संरक्षण परियोजनाएं – विभिन्न जिलों में 1000 से अधिक तालाबों और जल स्रोतों का पुनर्जीवन किया गया है.
जैव विविधता संरक्षण – नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दुर्लभ वनस्पतियों और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए विशेष योजनाएं लागू की गई हैं.
सामुदायिक भागीदारी – 5000 से अधिक स्वयंसेवी संगठनों और स्थानीय पंचायतों को इस अभियान से जोड़ा गया है.

सरकार और जनता की भूमिका

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, “प्रकृति परीक्षण अभियान केवल सरकार की योजना नहीं है, बल्कि यह जनता के सहयोग से सफल हो रहा है. हमने गांवों में स्थानीय लोगों को इस अभियान से जोड़ा है ताकि वे अपने पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक हों” पर्यावरणविदों का भी मानना है कि छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास देश के अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकता है. अगर इसी तरह से सतत विकास की दिशा में काम किया जाता रहा, तो आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ एक हरित और स्वच्छ राज्य बनने की ओर अग्रसर होगा.

प्रकृति परीक्षण अभियान का परिचय

प्रकृति परीक्षण अभियान भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक सामूहिक पहल है. यह अभियान वैज्ञानिक अनुसंधान, सर्वेक्षण और सामाजिक भागीदारी के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर केंद्रित है. इसमें वनों की स्थिति, वन्यजीवों की संख्या, जल स्त्रोतों की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी संतुलन के अध्ययन शामिल हैं.छत्तीसगढ़ सरकार ने इस अभियान को राज्य के विभिन्न हिस्सों में लागू किया, जिसमें वन विभाग, पर्यावरण विभाग, वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान और स्थानीय समुदायों को शामिल किया गया है.. राज्य के विभिन्न प्राकृतिक परिक्षेत्रों में इस अभियान का संचालन किया गया, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिला.

प्रकृति परीक्षण अभियान के लिए किए जाने वाले प्रयास

छत्तीसगढ़ सरकार आयुष आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक व्यापक और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इस तरह की पहल न केवल नागरिकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाएगी, बल्कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों को मुख्यधारा में लाने में भी सहायक होगी. 26 नवंबर से 25 दिसंबर 2024 तक चले इस अभियान के तहत देशभर में 1.29 करोड़ से अधिक नागरिकों का परीक्षण किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ ने 4.45 लाख से अधिक नागरिकों का सफलतापूर्वक परीक्षण कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई. इस अभियान में राज्य के 3551 वालंटियर्स ने योगदान दिया.

छत्तीसगढ़ में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीनस्थ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के 40,000 से अधिक अधिकारियों और जवानों का भी सफलतापूर्वक प्रकृति परीक्षण किया गया, जो आयुष चिकित्सा के प्रति बढ़ती जागरूकता और विश्वास को दर्शाता है.मोबाइल एप्लीकेशन आधारित इस अभियान को नागरिकों से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है.

राज्य के मुखिया विष्णुदेव साय ने इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ में इस अभियान को निरंतर जारी रखने का निर्णय लिया गया है. अब राज्य के नागरिक निकटतम आयुर्वेद महाविद्यालय, जिला आयुर्वेद चिकित्सालय, आयुष विंग, स्पेशलाइज्ड थैरेपी सेंटर, शासकीय आयुर्वेद औषधालयों एवं निजी आयुर्वेद चिकित्सकों से संपर्क कर अपना प्रकृति परीक्षण करवा सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों और वनस्पतियों की समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है. इस अभियान के अंतर्गत: बाघ, हाथी, गौर, भालू, हिरण, और दुर्लभ पक्षी प्रजातियों के संरक्षण के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं. राज्य के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में कैमरा ट्रैपिंग और जीपीएस ट्रैकिंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ की समृद्ध वनस्पतियों को सुरक्षित रखने के लिए औषधीय पौधों का संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है. गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती टाइगर रिजर्व और अचानकमार टाइगर रिजर्व में संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार किया जा रहा है. जल संरक्षण इस अभियान का एक महत्वपूर्ण अंग है. हसदेव, शिवनाथ और इंद्रावती नदियों की सफाई और जल गुणवत्ता परीक्षण किया गया है. राज्य के विभिन्न जलस्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिल रहा है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल संचयन तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्थानीय समुदायों को जोड़ा जा रहा है..विद्यालयों और महाविद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. स्थानीय समुदायों को रोजगार देने के लिए वनीकरण और पौधारोपण अभियानों में उन्हें जोड़ा जा रहा है.ईको-टूरिज्म का विकास किया जा रहा है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिल रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने और उनसे निपटने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. राज्य में तापमान परिवर्तन और वर्षा पैटर्न का विश्लेषण किया जा रहा है. कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं. नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है.

इसके अलावा सतत् कृषि और हरित ऊर्जा के लिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. सौर ऊर्जा और बायोगैस संयंत्रों का विस्तार किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में “प्रकृति परीक्षण अभियान” पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है.राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार के मार्गदर्शन में इस अभियान ने जैव विविधता संरक्षण, जल संसाधनों के पुनर्जीवन, जलवायु परिवर्तन अध्ययन और सामुदायिक भागीदारी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं. सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और स्थानीय जनता के संयुक्त प्रयासों से छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण में एक अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर है.

विष्णु देव साय सरकार की इस पहल ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक नई दिशा दी है. राज्य सरकार के ठोस प्रयासों और जनता की भागीदारी से यह अभियान सफल हो रहा है. आने वाले समय में इससे छत्तीसगढ़ की हरित संपदा को और मजबूती मिलेगी, जिससे पर्यावरण और आर्थिक विकास, दोनों को लाभ मिलेगा.