PM Modi In Jahan-e-Khusrau: पीएम नरेंद्र मोदी आज (28 फरवरी) सुंदर नर्सरी में ‘जहान-ए-खुसरो’ कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। यह सूफी संत और कवि अमीर खुसरो (Amir Khusrow) की याद में किया जाता है। यह पहला मौका है जब पीएम मोदी ‘जहान-ए-खुसरो’ कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री का मुस्लिमों के दिल में जगह बनाना भी है। पीएम इस दौरान मुस्लिमों को खास संदेश देंगे। बता दें कि अमीर खुसरो को हिंदी खड़ी बोली का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने सूफी कव्वालियों और कविताओं में हिंदी का प्रयोग किया।
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नई दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित सुंदर नर्सरी में ‘जहान-ए-खुसरो’ का कार्यक्रम तीन दिन चलेगा। जहान-ए-खुसरो- सूफी संगीत, कविता और नृत्य को समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव है। अमीर खुसरो की विरासत का जश्न मनाने के लिए दुनिया भर के कलाकार शामिल होंगे। यह रूमी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसे 2001 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और कलाकार मुजफ्फर अली ने शुरू किया था।
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बका दें कि पीएम मोदी का सूफी लगाव कोई पहली बार नहीं है। इसके पहले भी उन्होंने सूफी परंपरा में अपनी रुची दिखाई है। इतना ही नहीं बीजेपी और संघ हमेशा से ही देश में सूफी परंपरा को आगे बढ़ाने की बात करता रहा है। ऐसे में पीएम मोदी दिल्ली से एक बार फिर सूफीवाद को बढ़ावा देने और देश के मुस्लिमों को सियासी संदेश देने की कवायद करेंगे।
पीएम मोदी का सूफी परंपरा के साथ लगाव काफी पहले से है। नरेंद्र मोदी का हमेशा से मानना रहा है कि सूफीवाद को बढ़ावा देने से साम्प्रदायिक तनाव खत्म करने में मदद मिलेगी। इस बात को वे गुजरात के सीएम रहते हुए और पीएम बनने के बाद भी करते रहे हैं। 2014 में देश की सत्ता पर विराजमान होने के बाद पीएम मोदी ने मुसलमानों के किसी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी, तो वो सूफी परंपरा से जुड़े हुए लोग थे।
2015 में 40 सूफी रहनुमाओं ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी
27 अगस्त 2015 को देश भर के 40 सूफी रहनुमाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने भारत में सूफी विचारधारा और सूफी संस्कृति को प्रोत्साहन देने और भारत में सूफी मजारों और स्थलों के जीर्णोद्धार सहित कई सुझाव दिए थे।
दुनिया के सामने मोदी ने रखा सूफीवाद
पीएम मोदी ने मार्च 2016 में दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व सूफी फोरम का उद्घाटन किया था। इस कार्यक्रम में दुनिया के 20 देशों के सूफीवाद से जुड़े हुए करीब 200 लोगों ने शिरकत की थी। इनके बीच पीएम मोदी ने कहा था,’इस्लाम अमन का पैगाम देता है, सूफीवाद उसकी आवाज है। इस्लाम का असली मतलब ही शांति है।
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जब हम अल्लाह के 99 नामों के बारे में सोचते हैं, कोई भी हिंसा से जुड़ा नहीं है। खुदा की सेवा का मतलब भगवान की सेवा है। इस दौरान मोदी ने कहा था कि आतंकवाद को इस्लाम से नहीं जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा था हम ईश्वर को प्यार करते हैं तो हमें उनके बनाए सभी लोगों से भी प्यार करना चाहिए। हजरत निजामुद्दीन औलिया और बुल्ले शाह ने यही संदेश दिया है कि ईश्वर सभी के दिल में रहता है।
मुसमलानों को देंगे मोदी संदेश
पीएम मोदी सूफीवाद के जरिए देश के मुसलमानों को सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं, जिस तरह से उन्होंने समय-समय पर सूफी परंपरा को लेकर अपनी बात रखते रहे हैं। पीएम मोदी ने खुद एक बार कहा था कि वह सूफी धारा से बहुत अधिक प्रभावित हैं और सूचना-प्रसारण मंत्रालय को भी सूफी धारा को महत्व देने के निर्देश दे दिए थे। वैसे आम धारणा बीजेपी को ध्रुवीकरण कराने वाली पार्टी मानने की है, लेकिन प्रधानमंत्री का मानना है कि सूफीवाद को बढ़ावा देने से साम्प्रदायिक तनाव खत्म करने में मदद मिलेगी। पश्चिम बंगाल, असम और केरल के चुनावों के संदर्भ में भी इसे जोड़कर देखा जा रहा है,जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं।
हिंदी खड़ी बोली के सूफी कवि थे अमीर खुसरो
अमीर खुसरो हिंदी खड़ी बोली के सूफी कवि थे और फारसी में उन्होंने सूफीमत की कविताएं लिखी हैं। अमीर खुसरो ने अपनी संगीत और कविता में देश की गंगा-जमुनी तहजीब को हमेशा आगे रखा, जिसका उद्देश्य सामाजिक-सांस्कृतिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को पिरोना था। अमीर खुसरो की याद में होने वाले कार्यक्रम में पीएम मोदी शामिल होकर देश के मुसलमानों को एक बड़ा संदेश देने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना चाहते हैं।
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