कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। चंबल-अंचल में शिक्षा माफिया और अफसरों के गठजोड़ के कारण करोड़ो का घोटाला हुआ है। इस शिक्षा के घोटाले ने दीमक की तरह अंचल की साख को खोखला कर दिया है। जीवाजी विश्विद्यालय और मेडिकल काउंसिल से संबंध 400 से ज्यादा कॉलेजों में बीते 20 साल में 18 हजार करोड़ से ज्यादा का शिक्षा महाघोटाला हुआ है। फर्जी कॉलेज, फर्जी स्कॉलरशिप, फर्जी डिग्री के जरिए इसे अंजाम दिया गया। यही वजह है कि कोर्ट के आदेश के बाद EOW, CBI जैसी जांच एजेंसियां इन भ्रष्टाचारो की परत खोलने जांच में जुटी है।

ग्वालियर चंबल-अंचल में शिक्षा माफिया का मकड़जाल 

ग्वालियर चंबल-अंचल में शिक्षा माफिया का मकड़जाल फैला हुआ है। युवा हो या सिस्टम में बैठे अधिकारी अफसर सभी इस जाल में फंस चुके हैं। अकेले जीवाजी यूनिवर्सिटी की  बात की जाए तो सम्बद्धता हासिल किए हुए 373 कॉलेजों में से अधिकांश फर्जी तरीके से कागजों पर संचालित हो रहे हैं। जीवाजी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स और अधिकारियों की मिलीभगत से इन कॉलेजों को मान्यता मिलती है।

नवनियुक्त कुलगुरु बोले- जांच एजेंसियां जो दस्तावेज मांगेगी, उपलब्ध कराएंगे 

कॉलेज संचालक कागजों पर बाहरी राज्यों के छात्रों को कॉलेज में प्रवेश देकर मोटी वसूली तो करते ही हैं। साथ ही फर्जी कागजों के आधार पर सरकारी छात्रवृत्ति भी संचालक हड़प लेते हैं। मान्यता से लेकर छात्रवृत्ति के इस महाघोटाले में प्रशासनिक अफसरों से लेकर जीवाजी विश्विद्यालय के प्रोफेसर्स तक का हिस्सा तय रहता है। यही वजह है कि EOW ने मुरैना के फर्जी कॉलेज मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु सहित 17 प्रोफेसर के खिलाफ FIR दर्ज की है। विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलगुरु डॉ. राजकुमार आचार्य का कहना है कि जांच एजेंसियां जो भी दस्तावेज मांगेंगी, उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही सम्बद्धता मामले में भी अब कसावट लाई जाएगी।

कलेक्टर बोलीं- सभी रिपोर्ट भोपाल लेवल पर भेज रहे  

ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान का भी कहना है कि अंचल में शिक्षा महाघोटाले से जुड़ी जांच रिपोर्ट जैसे-जैसे आती जा रही हैं। उसकी जानकारी भोपाल लेवल पर भी भेजी जा रही है। ताकि आगे इस मामले में सख्त एक्शन लिया जा सके। 2004 से लेकर 2024 के बीच 18 हज़ार करोड़ रुपए का शिक्षा और मेडिकल महाघोटाला हुआ है।

-जीवाजी विश्वविद्यालय से सम्बद्धता, स्कॉलरशिप और फर्जी शिक्षकों के नाम पर घोटाले हुए

-जीवाजी विश्वविद्यालय से 373 कॉलेज को मान्यता दी गई है और इनमें से अधिकांश फर्जी तरीके से संचालित कॉलेजों ने मोटी वसूली की है। बीस साल में संचालित हुए कॉलेजों ने डोनेशन फीस, ट्यूशन फीस, डिग्री फीस के नाम पर छात्रों से 9 हजार 500 करोड़ रुपए वसूले। इनमे इन कॉलेजों को मान्यता देने में मददगार यूनिवर्सिटी के अफसरों का भी हिस्सा रहने का आरोप है।

-जीवाजी विश्विद्यालय में B.ed कोर्स वाले कॉलेजो में OBC, SCST स्कॉलरशिप और आवास सहायता के जरिये ही लगभग बीस साल में 2 हज़ार 500 करोड़ रुपये का घोटाला

-जीवाजी विश्विद्यालय के जनरल कोर्स के कॉलेजो में OBC, SCST स्कॉलरशिप और आवास सहायता के जरिये 20 साल में 2 हज़ार 960 करोड़ रुपये घोटाला

-मेडिकल कॉउंसिल के नर्सिंग कॉलेजों में ग्वालियर चंबल में साढ़े तीन हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नर्सिंग कॉलेजों की जांच CBI कर रही है।

-जीवाजी विश्वविद्यालय के फर्जीवाड़े की जांच EOW ने शुरू कर दी है

शिक्षा माफिया, प्रशासनिक और विश्विद्यालय के गठजोड़ का होगा बड़ा खुलासा ?

हाईकोर्ट में मुरैना जिले के झुंडपुरा के फर्जी कॉलेज सामने आने के बाद इस महाघोटाले का खुलासा हुआ है। फर्जी तरीके से मान्यता देने के चलते ईओडब्ल्यू ने जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु सहित 17 प्रोफेसर पर धोखाधड़ी-जालसाजी का केस दर्ज किया है। वहीं इस मामले में राज्यपाल ने कुलगुरु के साथ EC मेंबर्स को भी बर्खास्त कर दिया है। अब हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू को जीवाजी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले सभी कॉलेजों को मान्यता देने में हुई गड़बड़ी के जांच के निर्देश दे दिए है। लिहाजा अब इस महाघोटाला की जांच पूरी होने के बाद इसमें शामिल शिक्षा माफिया, प्रशासनिक और विश्विद्यालय के गठजोड़ का बड़ा खुलासा होगा।

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