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देवेंद्र चौहान, भोजपुर. राजधानी भोपाल से सटे रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा में स्थित बेतवा नदी के उद्गम स्थल पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है. बेतवा के उद्गम स्थल से बहने वाली जलधारा पूरी तरह से सूख गई है. इसके पीछे आसपास हो रहे पक्के निर्माण, जंगलों की कटाई और अनियंत्रित विकास कार्य जिम्मेदार बताएं जा रहे हैं. स्थानीय पर्यावरणविदों और जागरूक नागरिकों ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की है और ‘नदी बचाओ’ अभियान की शुरुआत करने का संकल्प लिया है. अब सवाल खड़ा होता है कि क्या ऐसे बेतवा नदी MP के विकास और समृद्धि का आधार बनेगी?
उद्गम स्थल पर बेतवा की सूखी धारा, चारों ओर कटते पेड़
पर्यावरण प्रेमी उमाशंकर तिवारी ने बताया कि बेतवा नदी के उद्गम से कभी बेतवा की प्राकृतिक धारा बहती थी. वहां अब पानी नहीं है. आसपास की हरियाली पर भी संकट मंडरा रहा है. बेतवा नदी का यह उद्गम स्थल भोपाल के पास रातापानी टाइगर रिजर्व के झिरी गांव में स्थित है. यह वही नदी है, जो आगे चलकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की जीवन रेखा बनती है. लेकिन उद्गम स्थल से ही पानी की धार बंद हो जाएगी तो भविष्य में इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो बेतवा नदी की मुख्य धारा कमजोर हो जाएगी और यह क्षेत्र जल संकट का शिकार हो सकता है. इधर, पर्यावरण प्रेमियों ने बेतवा नदी को उसके प्राकृतिक स्वरूप में लौटाने के लिए अभियान शुरू करने का फैसला लिया है.
मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग
पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय नागरिकों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपील की है कि वे बेतवा नदी के उद्गम स्थल को संरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाएं. जंगलों की कटाई को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं और अवैध निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए.
बेतवा नदी का महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के झिरी गांव से निकलती है. यह नदी गंगा बेसिन का हिस्सा है और आगे चलकर उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में मिलती है.
लंबाई – 590 किमी
बेसिन क्षेत्र – 46,580 वर्ग किमी
महत्वपूर्ण शहर – भोपाल, भोजपुर मंदिर, विदिशा, झांसी, हमीरपुर औरैया और ओरछा से होते गए गंगा नदी में समाहित हो गई है.
बेतवा नदी के उद्गम स्थल के बारे में जानकारी
बेतवा नदी का इतिहास भी समृद्ध है. यह प्राचीन भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र की प्रमुख नदी रही है. इसके किनारे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल स्थित हैं, जिनमें ओरछा, भोजपुर, विदिशा और झांसी शामिल है. बेतवा नदी का उद्गम स्थल राजधानी भोपाल के पास में स्थित है.
यह नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहती हुई यमुना नदी में मिल जाती है. अगर समय रहते बेतवा नदी के उद्गम स्थल को नहीं बचाया गया तो यह नदी अपना अस्तित्व खो सकती है. अब जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन, सरकार और आम जनता मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि बेतवा नदी फिर से अपनी मुख्य धारा में लौट सके.
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