नई दिल्ली। अगर आप पासपोर्ट बनाने जा रहे हैं, तो साथ में अपना जन्म प्रमाण पत्र भी साथ रख लें. भारत सरकार ने पासपोर्ट के नियमों में बदलाव किया है, जिसमें 1 अक्टूबर 2023 या उसके बाद जन्म लेने वाले आवेदकों के लिए जन्म प्रमाणपत्र ही जन्मतिथि का एकमात्र वैध प्रमाण माना जाएगा. वहीं, पुराने आवेदक अन्य दस्तावेजों का विकल्प चुन सकते हैं.

पासपोर्ट केवल एक यात्रा दस्तावेज नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति की पहचान और राष्ट्रीयता का प्रमाण भी होता है. ये विदेश यात्रा, शिक्षा, व्यवसाय और अन्य उद्देश्यों के लिए आवश्यक होता है. भारत सरकार समय-समय पर पासपोर्ट नियमों में बदलाव करती रहती है, जिससे आवेदन प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया जा सके. इसके अलावा इन बदलावों का उद्देश्य फर्जी दस्तावेजों को रोकना भी होता है.

पासपोर्ट नियमों में बड़ा बदलाव

भारत सरकार ने पासपोर्ट नियम 1980 में संशोधन करते हुए एक आधिकारिक नोट जारी किया है. नए नियमों के तहत, 1 अक्टूबर 2023 या उसके बाद जन्म लेने वाले व्यक्तियों के लिए जन्म प्रमाणपत्र ही जन्मतिथि का एकमात्र प्रमाण माना जाएगा. ये प्रमाण पत्र केवल उपयुक्त सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी किया जाना चाहिए.

कितने प्रकार के होते हैं पासपोर्ट

ब्लू पासपोर्ट : सबसे कॉमन पासपोर्ट है, जो नागरिकों को जारी किया जाता है. इसका रंग गाढ़ा नीला होता है . आम नागरिकों को व्यक्तिगत जरूरतों के लिए जारी करती है.
आरेंज पासपोर्ट : उन भारतीय नागरिकों को जारी किया जाता है, जो सिर्फ 10वीं तक ही पढ़े होते हैं. ये पासपोर्ट विदेश में माइग्रेट लेबरर के तौर पर काम करने के लिए जाते हैं.
व्हाइट पासपोर्ट : भारत सरकार, सरकारी कामकाज से विदेश यात्रा करने वाले अपने अधिकारियों को व्हाइट पासपोर्ट जारी करती है.
रेड कलर : हाईप्रोफाइल पासपोर्ट सरकारी अफसरों, राजनयिकों और सरकार के प्रतिनिधियों को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी किया जाता है. कुल पांच कैटेगरी के लोगों को इशू किया जाता है.