उत्तराकाशी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुरुवार को उत्तराखंड के दौरे पर हैं. जहां वो एक ट्रेक और बाइक रैली की हरी झंडी दिखाएंगे. इसके पीएम हर्षित में जनसभा को संबोधित करेंगे. वहीं मुखवा में मां गंगा की पूजा-अर्चना करेंगे. आइए जानते हैं आखिर मुखवा का धार्मिक महत्व क्या है और यह जगह क्यों प्रसिद्ध है.

वैसे तो मुखवा एक सुंदर पहाड़ी गांव है, जो उत्तरकाशी जिले के हर्षिल वैली में है. यह गांव गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है. मुखवा को मुखीमठ के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर को माता गंगा का मायका भी कहा जाता है. इसके अलावा मुखवा को गंगा मां का शीतकालीन निवास स्थान कहा जाता है.

क्यों प्रसिद्ध है मुखवा?

दरअसल, शीतकाल के दौरान माता गंगा की मूर्ति को गंगोत्री से वहां लाया जाता है. क्योंकि शीतकाल के समय गंगोत्री धाम बर्फ से पूरी तरह से ढक जाता है. सर्दियों की शुरुआत से पहले भक्तों के जुलूस के साथ गंगोत्री से माता गंगा मुखबा गांव आती है. इस स्थान को माता गंगा का मायका कहते हैं, इसलिए जब भी माता गंगा की मूर्ति सर्दियों की शुरुआत में वहां लाई जाती है.

क्या है धार्मिक महत्व?

मुखवा की धार्मिक महत्व की बात करें तो शीतकाल के दौरान मां गंगा की पूजा वहां होती है. गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद भी भक्त गंगा मां की पूजा कर सकें, इसलिए मुखवा गांव में माता की प्रतिमा को लाया जाता है. वहां माता की पूजा करने से पारिवारिक जीवन में व्यक्ति को सुख-शांति की प्राप्ति होती है. यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है.

गौरतलब है कि 1962 के युद्ध के बाद नेलांग और जादूंग सहित सोनम घाटी छावनी में तब्दील हो गई थी. वहां पर स्थानीय लोगों और पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी गई थी. लेकिन अब भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर लद्दाख की तर्ज पर विकसित करने की योजना शुरू कर दी गई है.