आकाश श्रीवास्तव, नीमच. जिले के जावद तहसील के नया गांव स्थित सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) प्लांट एक बार फिर चर्चा में आ गया है. इस प्लांट के स्क्रैप की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिसमें इसकी कुल मूल्यांकन राशि मात्र 44 करोड़ रुपये रखी गई है. केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2025 को इस फैक्ट्री के लिए ऑनलाइन टेंडर जारी किए थे, जिसके बाद जिले में राजनीतिक माहौल गरमा गया है. कांग्रेस और श्रमिक संगठनों ने नीलामी का विरोध शुरू कर दिया है और मांग है कि प्लांट को नीलाम करने के बजाय दोबारा चालू किया जाए.

कांग्रेस ने किया विरोध प्रदर्शन

बीते दो-तीन दिनों में कांग्रेस ने नीमच जिले में कई जगहों पर बड़े विरोध प्रदर्शन किए हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुतला दहन और धरना प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे इस मुद्दे को अपने वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचाएंगे और फैक्ट्री को फिर से शुरू करवाने की कोशिश करेंगे, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सके.

जिले को औद्योगिक पहचान दिलाने वाली फैक्ट्री का सफर

जिले की औद्योगिक पहचान रहे इस सीमेंट प्लांट को क्षेत्र में उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाले चूना पत्थर और खनिज संसाधनों के कारण स्थापित किया गया था. यह प्लांट 11 अक्टूबर 1980 को शुरू हुआ था और प्रतिदिन 12,000 मीट्रिक टन सीमेंट उत्पादन की क्षमता रखता था. लेकिन वित्तीय समस्याओं के चलते 13 मई 1997 को इसे बंद कर दिया गया. इसके बाद भी 2 साल तक यह जनरेटर के माध्यम से चला. लेकिन 1999 में इसका उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया गया.

नीमच के लाइमस्टोन पर उद्योगपतियों की नजर

नीमच में एशिया की उच्चतम गुणवत्ता का लाइमस्टोन पाया जाता है, जिसे ग्रेड 43 और 53 पोर्टलैंड सीमेंट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. सीसीआई फैक्ट्री के पास लगभग 3000 बीघा क्षेत्र में फैली लाइमस्टोन की खदानें हैं. जब नीमच में पानी की किल्लत हुई थी, तब इसी प्लांट के जल स्रोतों से पानी की आपूर्ति की गई थी. जिले में धीरे-धीरे प्राइवेट सीमेंट प्लांट डाले गए. जो क्षेत्र में सीमेंट उत्पादन कर रहे हैं और नए नए प्लांट भी आ रहे हैंं.

नीलामी को लेकर आरोप और संदेह

विपक्ष और श्रमिक संगठनों को आशंका है कि कुछ बड़े नेताओं के इशारे पर सीसीआई नयागांव की जमीन को निजी कंपनियों के लिए औने-पौने दाम में बेचा जा रहा है. आरोप है कि यह जमीन गुजरात की एक कंपनी को दी जा सकती है, जो सगराना घाटी में नया सीमेंट प्लांट लगा रही है और जिसके पास लाइमस्टोन खदानें नहीं हैं.

कांग्रेस ने लगाया घोटाले का आरोप

कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अजीत काठेड ने इसे एक बड़ा आर्थिक घोटाला करार दिया है. उनका कहना है कि क्षेत्रीय सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक ओमप्रकाश सकलेचा ने इस प्लांट को चलाने की कोई कोशिश नहीं की और इन माइंस को दूसरों को बेचने का आरोप लगाया. उन्होंने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक पहुंचाने की बात कही. पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि आने वाले समय में विरोध को बड़े पैमाने पर करेंगे, जिसमें बड़े नेताओं को भी शामिल होंगे.

पूर्व कर्मचारियों की नाराजगी

सीमेंट फैक्ट्री के पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें साल 2008 में अचानक काम से हटा दिया गया था और अब उन्हें मात्र 1000 रुपये मासिक पेंशन मिल रही है. इस कारण वे कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, जिसमें ‘लाड़ली बहना योजना’ और राशन योजना शामिल हैं.

सरकार और प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

विरोध कर रहे संगठनों ने आरोप लगाया है कि सीसीआई फैक्ट्री को जान बूझकर बंद रखा गया और निजी कंपनियों के हितों को साधने के लिए इसे सस्ते दामों में नीलाम किया जा रहा है. उनका कहना है कि फैक्ट्री को मात्र 9.50 करोड़ के बिजली बिल न भरने की वजह से बंद कर दिया गया था. जबकि इसकी उत्पादन क्षमता 4 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष थी और इसे 10 लाख टन प्रतिवर्ष तक बढ़ाया जा सकता था.

बता दें कि नीलामी प्रक्रिया को लेकर अब मामला और गरमाने की संभावना है. कांग्रेस और श्रमिक संगठन आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं और आने वाले दिनों में बड़े प्रदर्शन हो सकते हैं.

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H