
एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग कार्यों को टालते हैं, उनमें अवसाद, चिंता और तनाव के लक्षण अधिक देखे गए. साथ ही, इन लोगों में कंधों और बाहों में दर्द, खराब नींद की गुणवत्ता और अकेलेपन की शिकायतें भी अधिक पाई गईं. यह अध्ययन जनवरी 2023 में स्वीडन की सोफिया हेमैन और उनकी टीम द्वारा किया गया था और इसे JAMA Network Open जर्नल में प्रकाशित किया गया था.
काम टालने से तनाव बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों में जकड़न और दर्द हो सकता है. चिंता और अपराधबोध की भावना नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है. लंबे समय तक टालमटोल करने से सामाजिक संपर्क में कमी आ सकती है, जिससे व्यक्ति अकेलापन महसूस कर सकता है.
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टालमटोल करने की आदत के प्रभाव
टालमटोल करने की आदत न केवल कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि शारीरिक दर्द, खराब नींद और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकती है. इससे बचने के लिए समय प्रबंधन, सकारात्मक आदतें और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है.
अध्ययन का उद्देश्य
इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना था कि टालमटोल करने की आदत का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है. इसमें 3,500 से अधिक कॉलेज छात्रों को शामिल किया गया, और उनके व्यवहार और स्वास्थ्य पर 9 महीने तक नजर रखी गई. इस दौरान स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति और सामाजिक जीवन से संबंधित डेटा एकत्र किया गया.
क्या निकला निष्कर्ष?
- शारीरिक प्रभाव – टालमटोल करने वालों में कंधे, गर्दन और बाहों में दर्द की शिकायत अधिक पाई गई.
- मानसिक प्रभाव – इनमें डिप्रेशन, चिंता और तनाव के लक्षण अधिक थे.
- नींद की समस्या – वे खराब नींद की गुणवत्ता और अनिद्रा जैसी समस्याओं से जूझते पाए गए.
- अकेलापन – टालमटोल करने वाले लोगों में सामाजिक अलगाव की प्रवृत्ति अधिक देखी गई.
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