अमित पांडेय, खैरागढ़। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई पोषण ट्रैकर ऐप प्रणाली और पोषण आहार (टीएचआर) वितरण प्रक्रिया में बदलाव को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा है। आज खैरागढ़ के स्थानीय अंबेडकर चौक पर सैकड़ों की संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि टीएचआर (पोषण आहार) वितरण के लिए नई डिजिटल प्रणाली अव्यावहारिक है। इस व्यवस्था के तहत लाभार्थियों को आहार लेने के लिए आधार आधारित ओटीपी (OTP) सत्यापन अनिवार्य किया गया है, जो कि जमीनी स्तर पर कई समस्याएं खड़ी कर रहा है।

प्रदर्शनकारी महिलाओं की मुख्य आपत्तियां:

  1. ओटीपी आधारित वितरण में व्यावहारिक दिक्कतें – ग्रामीण इलाकों में कई लाभार्थियों के पास मोबाइल फोन नहीं है। कुछ के पास एक ही फोन होता है, जिसे परिवार के अन्य सदस्य ले जाते हैं। ऐसे में वे ओटीपी साझा नहीं कर पाते, जिससे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए पोषण आहार वितरण कठिन हो गया है।
  2. कार्य अधूरा दिखाने पर मानदेय कटौती – ओटीपी न मिलने के कारण यदि आंगनबाड़ी कर्मचारी पोषण आहार नहीं बांट पातीं, तो इसे उनकी लापरवाही मान लिया जाता है और उनका मानदेय काट लिया जाता है।
  3. पोषण ट्रैकर ऐप में तकनीकी खामियाँ – आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐप में कई बार नेटवर्क और लॉगिन की समस्या आती है, जिससे डेटा अपडेट करने में कठिनाई होती है।
  4. मानदेय बढ़ाने की मांग – आंगनबाड़ी कर्मचारियों को कम वेतन और बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मानदेय बढ़ाने की भी मांग की।
  5. पुरानी व्यवस्था लागू करने की मांग – प्रदर्शनकारियों ने ओटीपी आधारित वितरण को हटाकर पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की है।

प्रदर्शन के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधिमंडल जिला कार्यालय पहुंचा और संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के नाम ज्ञापन सौंपा। डिप्टी कलेक्टर ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को शासन तक भेजा जाएगा। उन्होंने माना कि नए सिस्टम में तकनीकी खामियाँ हैं और इसे सुधारने की जरूरत है।

सरकार ने पारदर्शिता के लिए लागू की डिजिटल व्यवस्था

गौरतलब है कि, सरकार ने इस नई प्रणाली को पोषण योजनाओं में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार रोकने के उद्देश्य से लागू किया है। पहले पोषण आहार वितरण में गड़बड़ियों की शिकायतें आती थीं, जिसमें रेडी टू ईट (Ready-to-Eat) पोषण आहार को पशु आहार के रूप में बेचे जाने तक के आरोप लगे थे। अब सरकार ने ओटीपी और फोटो अपलोड जैसी प्रक्रियाओं को अनिवार्य कर दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाभार्थियों तक सही ढंग से पोषण आहार पहुंचे।

लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे। वहीं, सरकार अपने फैसले पर अडिग दिख रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार कोई समाधान निकालती है या यह आंदोलन और बड़ा रूप लेता है।

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