
सुधीर सिंह राजपूत, मिर्ज़ापुर. ‘‘मेरा घर खाली करा दिजिए साहब… वरना आत्महत्या के आलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं है. यह कहते-कहते सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल का जवान फफक-फफक कर रो पड़ा. जवान की आंखों में पीड़ा औऱ दर्द साफ झलक हो रहा था.
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दरअसल, यह पूरा मामला मिर्ज़ापुर के हलिया थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. हलिया थाना क्षेत्र के मनिगढ़ा गांव निवासी रयूफ अंसारी पुत्र कय्यूम अंसारी केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल सशस्त्र सुरक्षा बल (SSB) में कांस्टेबल के पद पर पोखराझार भूटान बार्डर से लगने वाले एरिया में तैनात हैं. जवान रयूफ के मुताबिक उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व हलिया के देवरी बाजार में दो बिस्वा भूमि खरीदकर 2 कमरों का मकान बनवाया था. जहां घर के दीवार पर प्लास्टर होना बाकी था. इसी बीच उनकी छुट्टी समाप्त हो जाने पर वह ड्यूटी पर लौट गए थे.
घर खाली देख जमा लिया कब्जा
जवान रयूफ के ड्यूटी पर जाते ही घर खाली देख संतोष कुमार पुत्र स्वर्गीय रामपति में घर पर कब्जा जमा लिया. जिसकी जानकारी होने पर पीड़ित सशस्त्र सुरक्षा बल के जवान ने हलिया थाना पुलिस से लेकर क्षेत्राधिकारी लालगंज को प्रार्थना पत्र देकर घर खाली कराने की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पाई है. बाद में जवान ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से भी गुहार लगाई, लेकिन यहां से भी निराशा ही अभी तक मिली है.
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पीड़ित जवान के मुताबिक वह हर बार छुट्टी मिलने पर फरियाद दर फरियाद ही लगाता आया है, लेकिन कोई उसकी सुनने को तैयार ही नहीं है. सिर्फ दिलासा ही मिलती आई है. आर्थिक, मानसिक व सामाजिक प्रताड़ना से जूझते हुए आएं जवान रयूफ एसपी आफिस पहुंचते ही फफक पड़े थें. अपना दुखड़ा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि वह अपने बीबी बच्चों के साथ स्वयं का घर होने के बाद भी किराए के घर में रहने को विवश हैं.
SC-ST एक्ट में फंसाने की मिलती है धमकी
सशस्त्र सुरक्षा बल के जवान का आरोप है कि 4 वर्षों से जब-जब उन्हें छुट्टी मिली है. वह मकान खाली करने के लिए प्रार्थना पत्र देने के साथ कब्जा करने वाले संतोष से भी गुहार लगाते हुए आएं हैं, लेकिन मकान खाली करना तो दूर उल्टा उन्हें एससी-एसटी एक्ट में फंसाकर जेल भिजवा नौकरी खा जाने की धमकीं दी जाती रही है. जिससे वह और उनका परिवार तनाव और परेशानियों के बीच जीवन गुजारने को विवश है. उन्होंने बताया कि उनके उच्चाधिकारियों ने भी स्थानीय पुलिस से पत्राचार के माध्यम से उन्हें न्याय दिलाने और उनके मकान को खाली कराने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन मामला न्यायालय में होने का हवाला देते हुए उनके उच्चाधिकारियों को गुमराह किया जाता रहा है. क्योंकि मेरा न तो किसी से विवाद रहा है, ना ही मकान कब्जा करने वाले संतोष से उनका कोई ताल्लुक़ात रहा है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे जवान ने अपनी गुहार लगाते हुए घर को कब्ज़ा मुक्त कराने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया. जहां पुलिस अधीक्षक से मुलाक़ात न हो पाने की दशा में उनका प्रार्थना पत्र लेते हुए जांच कराकर कार्रवाई का उन्हें आश्वासन दिया गया है.
जवान रयूफ अंसारी दुःखी मन से कहते हैं ‘वह देश के लिए जीते मरते हुए आएं हैं, हैंडग्रेनेड से पैर में गोली भी खाईं है, लेकिन सरहद की सुरक्षा की खातिर कभी भी पग पीछे नहीं हटे हैं. लेकिन उन्हें अपने ही गांव-घर में अपने ही मकान को कब्जामुक्त कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं.
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