दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जम्मू और कश्मीर के सांसद इंजीनियर राशिद की कस्टडी पैरोल याचिका पर प्रतिक्रिया मांगी है. राशिद ने संसद के वर्तमान बजट सत्र में भाग लेने के लिए पैरोल की अनुमति मांगी है, जो सोमवार से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए 18 मार्च को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की. कोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि कोई आपत्ति हो, तो NIA सोमवार तक अपना जवाब प्रस्तुत करे और मंगलवार को सुनवाई के लिए मामला सूचीबद्ध किया जाए.

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राशिद 2019 से आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने के आरोप में हिरासत में हैं. उन्होंने अंतरिम जमानत के लिए आवेदन किया है. उन्होंने उच्च न्यायालय में सिविल कोर्ट के 10 मार्च के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की, जिसमें उन्हें कस्टडी पैरोल देने से मना कर दिया गया था. राशिद का कहना है कि संसद के बजट सत्र में उनकी उपस्थिति उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की चिंताओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने और समाधान करने के लिए आवश्यक है.

राशिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और अधिवक्ता विक्यात ओबेरॉय ने न्यायालय में अपनी दलील प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि पिछले महीने उच्च न्यायालय ने उन्हें सत्र के प्रारंभिक चरण में शामिल होने के लिए दो दिन की कस्टडी पैरोल प्रदान की थी. 10 फरवरी को न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने कस्टडी पैरोल दी, क्योंकि सांसद की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए कोई मंच उपलब्ध नहीं था. न्यायालय ने यह भी कहा कि उन्हें बिना किसी उपाय के रिहा किया गया था.

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के विशेष लोक अभियोजक अक्षय मलिक और अधिवक्ता ख्वार सलीम ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि 10 फरवरी का आदेश फोरम की अनुपस्थिति में जारी किया गया था. उन्होंने बताया कि अब एक न्यायालय ने राशिद की जमानत याचिका की सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की है, और 19 फरवरी को न्यायालय ने राशिद की जमानत याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा था.

NIA ने अपनी चार्जशीट में राशिद पर यह आरोप लगाया कि 2019 में उसे अवैध गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह जम्मू और कश्मीर में अशांति और पृथकतावाद को बढ़ावा देने के लिए अवैध धन का उपयोग कर रहा था.