Nirmala Sitharaman On Rupee symbol: तमिलनाडु की एमके स्टालिन (M K Stalin) सरकार द्वारा राज्य के बजट 2025-26 दस्तावेजों में रुपये के आधिकारिक प्रतीक ‘₹’ को हटाकर तमिल ‘ரூ’ (रु) सिंबल लगाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बीजेपी इसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए सीएम स्टालिन को स्टुपिड तक कहा डाला। अब मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की एंट्री हुई है। वित्त मंत्री ने इसका कड़ा विरोध जताते हुए सवाल किया कि अगर डीएमके को रुपये के प्रतीक से दिक्कत थी, तो 2010 में इसके आधिकारिक रूप से अपनाए जाने पर उसने कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई, जब वह यूपीए सरकार का हिस्सा थी?

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एक्स पर एक पोस्ट में वित्त मंत्री ने कहा, “डीएमके सरकार ने कथित तौर पर तमिलनाडु बजट 2025-26 के दस्तावेजों से आधिकारिक रुपया प्रतीक ‘₹’ हटा दिया है, जिसे कल पेश किया जाएगा। अगर डीएमके को ‘₹’ से दिक्कत है, तो उसने 2010 में इसका विरोध क्यों नहीं किया, जब इसे आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत अपनाया गया था। उस समय जब डीएमके केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी।

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगे लिखा कि विडंबना यह है कि ‘₹’ को डीएमके के पूर्व विधायक एन. धर्मलिंगम के बेटे टी.डी. उदय कुमार ने डिजाइन किया था। अब इसे मिटाकर डीएमके न केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक को खारिज कर रही है, बल्कि एक तमिल युवा के रचनात्मक योगदान की भी पूरी तरह से अवहेलना कर रही है।

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‘₹ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना जाता है’

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, तमिल शब्द ‘रुपई’ (ரூபாய்) की जड़ें संस्कृत शब्द ‘रुपया’ में गहरी हैं, जिसका अर्थ है ‘गढ़ा हुआ चांदी’ या ‘चांदी का सिक्का’. यह शब्द तमिल व्यापार और साहित्य में सदियों से गूंज रहा है और आज भी ‘रुपई’ तमिलनाडु और श्रीलंका में मुद्रा का नाम बना हुआ है। वास्तव में इंडोनेशिया, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल, सेशेल्स और श्रीलंका सहित कई देश आधिकारिक तौर पर ‘रुपया’ या इसके ‘समतुल्य/व्युत्पन्न’ को अपनी मुद्रा के नाम के रूप में उपयोग करते हैं। रुपये का सिंबल ‘₹’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना जाता है और वैश्विक वित्तीय लेनदेन में भारत की एक दृश्यमान पहचान के रूप में कार्य करता है. ऐसे समय में जब भारत UPI का उपयोग करके सीमा पार भुगतान पर जोर दे रहा है, क्या हमें वास्तव में अपने स्वयं के राष्ट्रीय मुद्रा प्रतीक को कमजोर करना चाहिए?”

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‘यह एक खतरनाक मासनिकता का संकेत’

निर्मला सीतारमण ने कहा, “सभी निर्वाचित प्रतिनिधि और अधिकारी हमारे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए संविधान के तहत शपथ लेते हैं। राज्य बजट दस्तावेजों से ‘₹’ जैसे राष्ट्रीय प्रतीक को हटाना उसी शपथ के खिलाफ है, जो राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता को कमजोर करता है. यह महज प्रतीकात्मकता से कहीं अधिक है। यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत देता है जो भारतीय एकता को कमजोर करता है और क्षेत्रीय गौरव के बहाने अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है। भाषा और क्षेत्रीय अंधभक्ति का एक पूरी तरह से टाला जा सकने वाला उदाहरण।

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भाषा विवाद के बीच रुपये का सिंबल हटाया

बता दें कि भाषा विवाद के बीच तमिलनाडु (Tamil Nadu) सरकार ने राज्य के बजट में करेंसी के सिंबल को हटा दिया है। स्टालिन सरकार ने ‘₹’ के सिंबल की जगह तमिल अक्षर में ‘ரூ’ सिंबल से रिप्लेस कर दिया है. यह तमिल (Tamil) लिपी का अक्षर ‘रु’ है। यह पहली बार है जब किसी राज्य ने नेशनल करेंसी सिंबल को अस्वीकार किया है।  स्टालिन के इस फैसले को लेकर तमिलनाडु से लेकर पूरे देश की राजनीति गर्म हो गई है।

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खास बात यह है कि इस सिंबल को डिजाइन करने वाले उदय कुमार भी तमिलनाडु से ही आते हैं। उदयकुमार धर्मलिंगम (Udaya Kumar) ने रुपये के प्रतीक ₹ का डिजाइन देवनागरी के ‘र’ और रोमन अक्षर ‘R’ को मिलाकर बनाया था। यह भारतीय तिरंगे से प्रेरित है और इसे अन्य मुद्राओं से अलग दिखाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। उनके पिता DMK के विधायक रह चुके हैं। रुपये का प्रतीक देवनागरी “रा” और रोमन कैपिटल “आर” का मिश्रण है, जिसके शीर्ष पर दो समानांतर क्षैतिज पट्टियां हैं जो राष्ट्रीय ध्वज और “बराबर” चिह्न का प्रतिनिधित्व करती हैं. इसमें कहा गया है, “भारतीय रुपया चिह्न को भारत सरकार ने 15 जुलाई, 2010 को अपनाया था।

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