Meta vs Google: बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर Google और Meta के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. Google ने Meta और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों पर यह आरोप लगाया है कि वे अपने प्लेटफॉर्म्स पर नाबालिगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ऐप स्टोर्स (जैसे Google Play Store और Apple App Store) पर डाल रही हैं.

Google ने क्या कहा?

Google का कहना है कि ऐसे कानून बच्चों की प्राइवेसी के लिए जोखिम पैदा करते हैं, लेकिन वास्तविक ऑनलाइन खतरों को दूर नहीं करते.
कंपनी ने Utah के नए कानून “App Store Accountability Act” पर सवाल उठाए हैं, जिसके तहत ऐप स्टोर्स को यूजर्स की उम्र सत्यापित करनी होगी और नाबालिगों के लिए माता-पिता की अनुमति लेनी होगी.
Google ने Meta, Snap और X पर निशाना साधते हुए कहा कि ये कंपनियां इस कानून का समर्थन कर रही हैं ताकि उनकी खुद की जिम्मेदारी कम हो जाए.

Meta की प्रतिक्रिया

Meta ने Google के इस दावे को स्वीकार किया कि उम्र संबंधी जानकारी को गोपनीयता-सुरक्षित तरीके से ऐप डिवेलपर्स के साथ साझा किया जा सकता है.
लेकिन कंपनी ने यह सवाल उठाया कि Google यह तय कैसे करेगा कि कौन-से ऐप्स को यह डेटा मिलेगा?
Meta का कहना है कि सबसे आसान तरीका यह है कि माता-पिता को नियंत्रण दिया जाए. इसलिए, कानून को यह अनिवार्य करना चाहिए कि कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले माता-पिता की सहमति ली जाए.

Google का समाधान क्या है?

Google ने एक वैकल्पिक कानूनी ढांचा प्रस्तावित किया है, जिसके तहत सिर्फ उन्हीं ऐप्स के लिए उम्र सत्यापन लागू किया जाए जो संवेदनशील कंटेंट से जुड़े हैं.
कंपनी का मानना है कि ऐप डिवेलपर्स खुद यह तय करें कि उनके ऐप्स में उम्र सत्यापन की जरूरत है या नहीं.

Apple का भी बयान आया

Apple ने अपनी ऑनलाइन सुरक्षा रिपोर्ट में “डेटा संग्रह” से जुड़े खतरों की तरफ ध्यान दिलाया.
Apple के मुताबिक, कई अमेरिकी बच्चों के पास सरकारी ID नहीं होती, ऐसे में माता-पिता को और ज्यादा संवेदनशील दस्तावेज देने पड़ सकते हैं, जिससे प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है.

क्या कहता है नया कानून?

Utah का नया कानून किसी विशेष उम्र सत्यापन प्रक्रिया को अनिवार्य नहीं करता, बल्कि ऐप स्टोर्स को यह छूट देता है कि वे “उपलब्ध वाणिज्यिक तरीकों” से यह सुनिश्चित करें कि यूजर की उम्र सही ढंग से सत्यापित की जाए.

बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा: जिम्मेदारी किसकी?

इस विवाद में Google और Meta दोनों अलग-अलग दृष्टिकोण रख रहे हैं.
Google ऐप स्टोर्स पर जिम्मेदारी डालने का विरोध कर रहा है और चाहता है कि ऐप डिवेलपर्स खुद उम्र सत्यापन का फैसला करें.
Meta चाहती है कि माता-पिता को अधिकार मिले और ऐप स्टोर्स को माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य किया जाए.

अब देखना होगा कि अमेरिका में अन्य राज्य इस मामले में क्या फैसला लेते हैं और भारत सहित अन्य देशों में इस बहस का क्या असर होता है.