Pawan Kalyan on Hindi Language Controversy: केंद्र सरकार और तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार (MK Stalin Government) के बीच हिंदी को लेकर जारी विवाद में आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने एंट्री मारी है। हिंदी’ से नफरत करने वालों को डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने ललकारते हुए कहा कि तुम लोगों को हिंदी से इतनी नफरत है तो अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करना बंद कर दो। अपनी फिल्मों को यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ में मत रिलीज करो। उन्होंने तमिलनाडु सरकार के रवैये पर सवाल खड़े करते हुए कहाकि भाषा के लिए दुश्मनी वाला नजरिया बिल्कुल नासमझी है।

दरअसल पवन कल्याण अपनी पार्टी ‘जनसेना’ के 12वें स्थापना दिवस के मौके पर अपने विधानसभा क्षेत्र ‘पीथापुरम’ में आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुसलमान अरबी या उर्दू में दुआ करते हैं, मंदिरों में संस्कृत मंत्रों से पूजा-पाठ होता है, क्या इन प्रार्थनाओं को तमिल या तेलुगु में पढ़ा जाना चाहिए?
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एनडीए के सहयोगी दल ‘जनसेना’ के प्रमुख और तेलुगु एक्टर रहे पवन कल्याण ने कहा, ‘तमिलनाडु राज्य हिंदी को आखिर क्यों खारिज करता है? जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोग तमिल फिल्मों को इतना पसंद करते हैं। वे लोग तमिल फिल्मों को हिंदी में डब करके देखते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा के लिए दुश्मनी वाला नजरिया रखना बिल्कुल ही नासमझी है।
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उत्तर-दक्षिण का विभाजन न करें’
पवन कल्याण ने DMK नेताओं के हिंदी विरोधी रुख की आलोचना करते हुए कहा कि ये वाकई में गुमराह करने वाली बातें हैं। उन्होंने लोगों से उत्तर-दक्षिण विभाजन से आगे बढ़कर एकता और अखंडता को महत्व देने की गुजारिश की। उन्होंने यह भी कहा कि किसी चीज को तोड़ना आसान है, लेकिन उसको फिर से एकजुट करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है। उन्होंने जनता को एक ऐसी राजनीतिक पार्टियों को चुनने की सलाह दी जो देश हित में काम करें।
तमिलनाडु सीएम स्टालिन खुद कर रहे हिंदी विरोध नेतृत्व को लीड
बता दें कि केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषीय फार्मूले पर तमिलनाडु में बवाल जारी है। आए दिन राज्य से हिंदी विरोध में कोई न कोई बयान आ रहा है। सीएम स्टालिन खुद हिंदी विरोधी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। वह लगातार केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए तमिलनाडु पर हिंदी थोपने के आरोप लगा रहे हैं।
हद तो तब हो गई, जब तमिलनाडु की एमके स्टालिन (M K Stalin) सरकार ने राज्य के बजट 2025-26 दस्तावेजों में रुपये के आधिकारिक प्रतीक ‘₹’ को हटाकर तमिल ‘ரூ’ (रु) सिंबल लगा दिया। इसके बाद पूरे देश में स्टालिन के इस फैसले का विरोध हुआ। बीजेपी इसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए सीएम स्टालिन को स्टुपिड तक कहा डाला। वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका कड़ा विरोध जताते हुए सवाल किया कि अगर डीएमके को रुपये के प्रतीक से दिक्कत थी, तो 2010 में इसके आधिकारिक रूप से अपनाए जाने पर उसने कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई, जब वह यूपीए सरकार का हिस्सा थी?
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यह एक खतरनाक मासनिकता का संकेत: निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने कहा, “सभी निर्वाचित प्रतिनिधि और अधिकारी हमारे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए संविधान के तहत शपथ लेते हैं। राज्य बजट दस्तावेजों से ‘₹’ जैसे राष्ट्रीय प्रतीक को हटाना उसी शपथ के खिलाफ है, जो राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता को कमजोर करता है. यह महज प्रतीकात्मकता से कहीं अधिक है। यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत देता है जो भारतीय एकता को कमजोर करता है और क्षेत्रीय गौरव के बहाने अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है। भाषा और क्षेत्रीय अंधभक्ति का एक पूरी तरह से टाला जा सकने वाला उदाहरण।
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