
चंद्रकांत/बक्सर: “भोजपुरी हमनी के पुरखन के कमाई ह, लाखों करोड़ों लोगन के दिल के दर्द के दवाई ह, भोजपुरी हम एह से ना लिखी ला कि ई एगो भाषा ह, एह से लिखी ला कि ई हमार माई ह ..” यह कहना है प्रख्यात गीतकार शशि बावला का. वह पांडेय पट्टी में समाजसेवी व पूर्व उप मुख्य पार्षद प्रत्याशी सुनील मिश्रा के द्वारा आयोजित पारंपरिक होली मिलन समारोह में बोल रहे थे. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन, कलाकार और आम लोग शामिल हुए. ढोलक व झाल की थाप से पूरा इलाका गुंजायमान रहा और माहौल पूरी तरह होलीमय हो गया.
परंपरा को जीवित रखने का प्रयास
आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए आयोजक सुनील मिश्रा ने बताया कि यह कार्यक्रम पिछले 10 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य पुरानी होली की परंपरा को पुनर्जीवित करना और सनातनी संस्कृति को बनाए रखना है. उन्होंने यह भी कहा कि आगे भी यह प्रयास जारी रहेगा, ताकि पारंपरिक होली गायन की महत्ता बनी रहे. वहीं, शशि बावला ने बताया कि इस आयोजन में फाग गायन का महामुकाबला नारदी परंपरा के अनुसार आयोजित किया गया, जिसमें दिया ढकाइच और सिमरी की टीमों के बीच मुकाबला हुआ. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल परंपरा को संजोया जा सकता है, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़ा जा सकता है.
अश्लीलता से दूर रहनी चाहिए भोजपुरी
शशि बावला ने भोजपुरी में बढ़ती अश्लीलता पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि वह पिछले तीस वर्षों से भोजपुरी गायकों के लिए फाग लिखते आ रहे हैं, लेकिन उनका सदैव यह प्रयास रहता है कि भोजपुरी भाषा की गरिमा बनी रहे और इसमें अश्लीलता न आए. उन्होंने बताया कि उनके पुत्र पवन जी भी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रहे हैं और संगीत जगत में सक्रिय हैं. हाल ही में होली पर उनका नया एलबम “राधा बिना क्या होरी?” रिलीज हुआ, जिसमें होली के पारंपरिक महत्व को दर्शाया गया है.
विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्यजन रहे मौजूद
कार्यक्रम को सफल बनाने में सुनील सिंह, नरेंद्र सिंह, नंदू पांडेय, डॉ. श्रवण कुमार तिवारी और विक्की मिश्रा सहित अन्य सहयोगियों की भूमिका अहम रही. इस अवसर पर पूर्व परिवहन मंत्री संतोष “निराला”, वरिष्ठ भाजपा नेता प्रदीप दूबे और भाजयुमो प्रदेश प्रवक्ता अमित पांडेय समेत कई प्रबुद्धजन उपस्थित रहे. वहीं, समारोह में फाग गायन की प्रस्तुतियों ने माहौल को होलीमय बना दिया. ढोलक-झाल की धुन पर गूंजते पारंपरिक फाग ने समां बांध दिया. आयोजकों ने आश्वासन दिया कि आने वाले वर्षों में भी यह परंपरा और भव्य तरीके से जारी रहेगी.
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