
रणधीर परमार, छतरपुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बीते कुछ दिनों से पुलिस के साथ अभद्रता और मारपीट (Abuse and assault on police) की घटना लगातार सामने आ रही है। इसी को लेकर अब छतरपुर जिले (Chhatarpur District) के सिविल लाइन थाने (Civil Line Police Station) में पदस्थ सब इंस्पेक्टर अवधेश कुमार दुबे, जो कि एक रिटायर्ड आर्मी मैन हैं, उन्होंने एक वीडियो जारी कर दुख व्यक्त किया। इसमें उन्होंने मऊगंज, इंदौर और ग्वालियर की घटना पर चर्चा की।
‘Facebook Live’ में कही ये बात
छतरपुर जिले के सिविल लाइन थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर और रिटायर्ड आर्मी मैन अवधेश कुमार दुबे अपने फेसबुक पेज पर लाइव आए। और इसमें उन्होंने हाल के दिनों में पुलिस और प्रशासन के खिलाफ हो रहे हमलों और घटनाओं पर दुख व्यक्त कर चर्चा की। उन्होंने मऊगंज में हुए एएसआई की मौत, इंदौर में वकीलों द्वारा पुलिस से बदसलूकी और ग्वालियर में तहसीलदार और थाना प्रभारी पर हमले की घटनाओं के बारे में बात की। सब इंस्पेक्टर दुबे ने इन घटनाओं पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं समाज में अराजकता को बढ़ावा देती हैं।
CM डॉ यादव से की ये मांग
इसके साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक से इन घटनाओं पर संज्ञान लेने की अपील की है। उनका मानना है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि वे अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी डर के कर सकें।
वायरल होने के लिए वीडियो नहीं बना रहा हूं
सब इंस्पेक्टर अवधेश कुमार दुबे ने लाइव वीडियो में कहा कि, मेरे दिल में बहुत कुछ था, तो मैं पहली बार लाइव आया हूं। मन में बहुत कुछ है, जो मैं सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर दुनिया के सामने रखना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि उनका वीडियो बनाने का यह बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि वह वायरल हो जाएं। उन्होंने कहा, मैंने बीते दिनों में बहुत सारी खबरें पढ़ीं और देखीं, जिनसे मेरा मन बड़ा परेशान है। एक घटना मऊगंज जिले की है, जहां पर एक पुलिस टीम पर हमला हुआ है, एएसआई की मौत हो गई, इसके अलावा सब इंस्पेक्टर गंभीर रूप से घायल हैं, और तहसीलदार को भी गंभीर चोटें आई हैं।
घटनाओं के पीछे प्रोफेशनल बेस्ड समुदाय
उन्होंने कहा कि, दूसरी घटना इंदौर की है, जहां पर पुलिस के साथ झूमाझपटी कर वर्दी फाड़ दी गई। तीसरी घटना ग्वालियर में हुई है, जहां मेरा ही बैचमेट थाना प्रभारी ड्यूटी कर रहे थे। वहां कुछ मनचलों को रोका-टोका गया, तो झूमाझपटी हुई, जिसमें उन्हें चोटें आईं। इन तीन घटनाओं में एक समान चीज जो मैंने देखी है, वह यह कि तीनों में विरोध हुआ है। इन सबमें एक समान समुदाय था, जिसमें प्रोफेशनल बेस्ड समुदाय था। जैसे इंदौर की घटना में सारे वकील साथी थे, मऊगंज में आदिवासी भाई लोग थे। एक समुदाय की जब भीड़ इकट्ठी हुई, तो पुलिस के ऊपर दबाव बनाया गया और फिर हिंसा हुई।
इसमें फर्क है
उन्होंने कहा, मारपीट की घटना सामान्य आदमी के साथ हो जाना या फिर उसके साथ होना, जो सामान्य आदमी की रक्षा के लिए नियुक्त है, उसके साथ घटना होना, दोनों में फर्क है। मैं एक ऐसे विभाग में हूं, जिसमें हम कभी भीड़ नहीं बना सकते हैं। हमारा कोई संगठन नहीं है। फिर आप लोगों से यही कहना है कि क्या हम ऐसे ही शिकार होते रहेंगे ?
अपनी कहने का जज्बा है मुझमें
मेरे 8 साल का सेवाकाल है। मैं सेना में 18 साल सेवा में रहा हूं, तो मुझमें इतना जज्बा है कि मैं किसी भी मंच पर खड़े होकर अपनी बात कह सकता हूं, अब इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, वह नहीं पता। लेकिन जो दिल में है, वह मैं बोलूंगा कि क्यों पुलिस विभाग ऐसे ही ‘भीड़तंत्र’ का शिकार हो रहा है। उन्होंने कब मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूं कि हमारी और देखिए, हमारा दम जिंदा रहने दीजिए।
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