संसद से लेकर सड़क तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत तीन भाषा फॉर्मूला को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. दक्षिण भारत के अधिकांश राज्य इस फॉर्मूले का विरोध कर रहे हैं, जबकि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इसका समर्थन किया है. आंध्र विधानसभा में अपने भाषण में नायडू ने कहा कि भाषा केवल ज्ञान का मापदंड नहीं, बल्कि संवाद का माध्यम है. इस बीच, केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच परिसीमन और भाषा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है, जिसे समाप्त करने के लिए नायडू ने यह भी कहा कि भाषा के प्रति नफरत नहीं होनी चाहिए. यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब दक्षिण के कई राज्यों में हिंदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, और स्टालिन सरकार ने केंद्र पर भाषा थोपने का आरोप लगाया है.

ज्यादा भाषाएं सीखने पर जोर

नायडू ने अपने विचारों को दोहराते हुए कहा कि भाषा नफरत का कारण नहीं हो सकती. हमारी मातृभाषा तेलुगु है, जबकि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है और अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा मानी जाती है. हमें अपनी आजीविका के लिए अधिकतम भाषाएं सीखने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन अपनी मातृभाषा को भूलना नहीं चाहिए. नायडू ने हिंदी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इसे सीखने से दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में संवाद स्थापित करने में सहायता मिलेगी.

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उन्होंने बताया कि यदि हम हिंदी जैसी राष्ट्रीय भाषा का अध्ययन करते हैं, तो दिल्ली में जाकर धाराप्रवाह बोलना सरल हो जाएगा. उनका यह भी कहना था कि भाषा सीखने के व्यावहारिक लाभों पर अनावश्यक राजनीति का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. सभी को यह समझना चाहिए कि इस निरर्थक राजनीति के बजाय, हमें यह विचार करना चाहिए कि हम संचार के लिए अधिक भाषाएं कैसे सीख सकते हैं. नायडू ने यह भी उल्लेख किया कि जो लोग अपनी मातृभाषा पर गर्व करते हैं, वे वैश्विक स्तर पर सफलता प्राप्त करते हैं.

‘भाषा से नहीं मिलेगा ज्ञान’

नायडू ने विधानसभा में उल्लेख किया कि भाषा केवल संचार का माध्यम है, जबकि ज्ञान प्राप्ति के लिए यह पर्याप्त नहीं है. जो लोग अपनी मातृभाषा को सीखकर गर्व से बोलते हैं, वे वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं. मातृभाषा का अधिग्रहण सरल है, और मैं इस सदन को भी यही संदेश देना चाहता हूं. उन्होंने आगे कहा कि आंध्र प्रदेश, यदि आवश्यक हो, तो लोगों की आजीविका के अवसरों को सुधारने के लिए जापानी या जर्मन जैसी अतिरिक्त भाषाओं को सीखने की सुविधा प्रदान करेगा.

हाल ही में उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और हिंदी के अनिवार्य उपयोग पर चल रही चर्चा पर अपने विचार व्यक्त किए. 14 मार्च को जन सेना पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं के महत्व की रक्षा की और यह प्रश्न उठाया कि यदि तमिलनाडु हिंदी के खिलाफ है, तो तमिल फिल्मों को हिंदी में क्यों डब किया जाता है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी भाषा के प्रति नफरत की सोच को बदलने की आवश्यकता है.

पवन कल्याण के बयान पर अभिनेता और राजनेता प्रकाश राज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘अपनी हिंदी हम पर न थोपें’ का अर्थ किसी अन्य भाषा के प्रति नफरत नहीं है, बल्कि यह हमारी मातृभाषा और सांस्कृतिक पहचान को गर्व के साथ संरक्षित करने का प्रयास है. तमिलनाडु की पार्टी डीएमके और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन तीन भाषा फॉर्मूले का खुला विरोध कर रहे हैं, इसे तमिल भाषी राज्य में हिंदी के प्रवेश का एक छिपा हुआ माध्यम मानते हुए.