
कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति से जुड़े विवाद मामले में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट में पक्षकार अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 18 मार्च 2013 के बाद से देशभर मे चौराहे और तिराहे पर किसी भी महापुरुष की प्रतिमा लगाए जाने को अवैध घोषित किया है। उसके बावजूद इस मूर्ति की स्थापना की गई, जो सवालों के घेरे में आती है। कोर्ट ने इस जानकारी के आधार पर अगली सुनवाई पर सभी पक्षकारों से जवाब मांगा है।
प्रतिमा को लेकर क्षत्रिय और गुर्जर समाज के बीच चल रहा विवाद
ग्वालियर के चिरवाई नाका स्थित सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर क्षत्रिय और गुर्जर समाज के बीच विवाद चल रहा है। दोनों ही समाज की ओर से सम्राट मिहिर भोज को अपनी जाति का बताया जा रहा है, इन दावों को सुलझाने के लिए ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। जिस पर लगातार सुनवाई चल रही है,हाई कोर्ट के निर्देश पर संभाग आयुक्त की निगरानी में दोनों ही समाज के लोगों को साथ बैठकर उचित समाधान निकालने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन कोर्ट के निर्देश के बावजूद इस तरह की कोई भी बैठक आयोजित नहीं की गई।
29 अप्रैल के होगी मामले की अगली सुनवाई
वहीं दूसरी ओर याचिका से जुड़े अधिवक्ता आशीष प्रताप सिंह की ओर से यह जानकारी भी दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 18 मार्च 2013 के बाद देशभर के चौराहे, तिराहे पर मूर्तियों को लगाया जाना अवैध घोषित किया गया है। उसके बावजूद सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को ग्वालियर में लगाया गया, जो सवालों के घेरे में आती है। इसके साथ ही कोर्ट में यह जानकारी भी दी गई कि सम्राट मिहिर भोज से जुड़े मामले में तय की गई कमेटी में जो इतिहासकार जोड़े गए हैं, उनके द्वारा सम्राट मिहिर भोज पर कोई भी शोध कार्य नहीं किया गया। ऐसे में इस संवेदनशील मामले में सम्राट मिहिर भोज पर शोध करने वाले जानकार इतिहासकारों को तय कमेटी से जोड़ा जाना चाहिए। ताकि वह सही जानकारी कोर्ट के सामने रख सके। कोर्ट ने सभी बातों को सुनने के बाद अगली सुनवाई 29 अप्रैल तय की है।
जानें क्या है विवाद की वजह
बता दें कि यह पूरा विवाद सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के नीचे लगाई गई पट्टिका को लेकर शुरू हुआ था। पट्टिका पर गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा गया था। जिस पर क्षत्रिय समाज ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि सम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय थे। वहीं गुर्जर समाज इस बात से सहमत नहीं था। लिहाजा इस प्रतिमा को लेकर क्षत्रिय समाज गुर्जर समाज के बीच ग्वालियर में तनाव उत्पन्न होने के बाद बलवा हुआ। जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो हाई कोर्ट के आदेश पर प्रतिमा के नीचे लगी पट्टिका को समाधान होने तक ढकवा दिया गया। तब से लगातार इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
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