नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के कारण कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. महाराष्ट्र सरकार ने जानकारी दी है कि 18 मार्च मंगलवार तक 47 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है. सोमवार को हंसपुरी क्षेत्र में दो समूहों के बीच हिंसक झड़प हुई. मध्य नागपुर के चिटनिस पार्क क्षेत्र में तब स्थिति बिगड़ गई जब यह अफवाह फैली कि एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए किए गए आंदोलन के दौरान धार्मिक ग्रंथों को जलाया गया. इस घटना के दौरान पुलिस पर पथराव किया गया, जिसमें छह नागरिक और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए.

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पुलिस के अनुसार, हंसपुरी क्षेत्र में पुराने भंडारा रोड के निकट रात साढ़े 10 से साढ़े 11 बजे के बीच एक और हिंसक घटना हुई. अनियंत्रित भीड़ ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और आसपास के घरों तथा एक क्लिनिक में तोड़फोड़ की. हंसपुरी के निवासी शरद गुप्ता (50) ने बताया कि उनके घर के सामने खड़े चार दोपहिया वाहनों को जला दिया गया. उन्होंने कहा कि इस दौरान भीड़ ने हमला किया, पथराव किया और वाहनों में आग लगा दी.

रामनवमी की शोभायात्रा के आयोजन में लगे एक अन्य स्थानीय निवासी चंद्रकांत कावडे ने जानकारी दी कि भीड़ ने उनके सभी सजावटी सामान को आग के हवाले कर दिया और घरों पर पत्थरबाजी की. कुछ निवासी अपने गलियारे में बाहर आए और उन्होंने देखा कि वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम गलियों में मार्च कर रही है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर हिंसा पर विधानसभा में अपने बयान में कहा कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि धार्मिक सामग्री को जलाने की अफवाहें फैलाई गईं, जो एक सुनियोजित हमले का संकेत देती हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी को भी कानून-व्यवस्था अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है और पुलिस पर हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, इसके लिए कठोर कार्रवाई की जाएगी. यह हिंसक घटना और दंगे पूर्व नियोजित प्रतीत होते हैं. छावा फिल्म ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़काया है, लेकिन सभी को महाराष्ट्र में शांति बनाए रखने की आवश्यकता है.

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नागपुर हिंसा के संदर्भ में पुलिस ने 47 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जबकि कई अन्य लोग और पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. इस स्थिति के चलते महाराष्ट्र के संभाजीनगर और आस-पास के क्षेत्रों में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेजी से उठ रही है. बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि कब्र नहीं हटाई गई, तो वे आंदोलन शुरू करेंगे. इस विवाद को लेकर सोमवार सुबह से वीएचपी, बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों के सदस्यों द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी है.

वीएचपी और बजरंग दल के सदस्यों ने प्रदेश के जिला कलेक्टर कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया है. प्रदर्शनकारियों का मांग है कि मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र को संभाजीनगर से हटाया जाए, अन्यथा वे स्वयं कब्र को उखाड़ने की चेतावनी दे रहे हैं. हिंदू संगठनों की इस धमकी के चलते संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है.

इस बीच, हिंदू जनजागृति समिति द्वारा किए गए एक आरटीआई के खुलासे ने स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है. समिति के आरटीआई के जवाब में केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने बताया कि 2011 से 2023 के बीच औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. इसके बाद समिति ने यह सवाल उठाया कि इतनी बड़ी राशि कब्र के रखरखाव पर क्यों खर्च की गई, जबकि सिंधु दुर्ग किले में स्थित राज राजेश्वर मंदिर के रखरखाव के लिए केवल 6 हजार रुपये सालाना दिए जाते हैं. समिति के इस प्रश्न ने विवाद को और बढ़ा दिया है.

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दरअसल, औरंगजेब ने भारत में लगभग 1658 से 1707 तक शासन किया. उन्हें मुगल साम्राज्य का एक सक्षम और प्रभावशाली सम्राट माना जाता है. उनके शासन के दौरान जजिया कर का पुनर्गठन किया गया और सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया. इसके अतिरिक्त, औरंगजेब ने अपने दरबार में संगीत और शराब के सेवन पर भी रोक लगाई.

नागपुर हिंसा को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने की कठोर कार्रवाई की मांग

विश्व हिंदू परिषद ने नागपुर में फैली अफवाहों और हिंसा के लिए जिम्मेदार जिहादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. परिषद का कहना है कि औरंगजेब की कब्र के स्थान पर पूज्य धनाजी जाधव, संताजी घोरपडे और छत्रपति राजाराम महाराज का स्मारक स्थापित किया जाना चाहिए. विहिप के केंद्रीय संगठन महामंत्री श्री मिलिंद परांडे ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि नागपुर में रात के समय मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग द्वारा की गई आगजनी और हमले पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. उन्होंने बताया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के घरों पर हमले हुए, हिंदू समाज के कई घरों को निशाना बनाया गया और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया. विश्व हिंदू परिषद इस प्रकार की घटनाओं की कड़ी आलोचना करता है और इसे अत्यंत शर्मनाक मानता है कि झूठ फैलाकर हिंदू समाज पर आरोप लगाया गया और हिंसा को भड़काने का प्रयास किया गया.