
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान विवादास्पद ट्वीट करने के मामले में बीजेपी नेता और वर्तमान कानून मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है. जस्टिस रविंद्र डुडेजा ने सेशन कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ कपिल मिश्रा की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज किया गया था.
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जस्टिस ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है और उसे मामले में आगे बढ़ने की अनुमति है. इसके साथ ही, हाई कोर्ट ने पुलिस को नोटिस के संबंध में चार सप्ताह का समय दिया है, जबकि अगली सुनवाई की तारीख 19 मई निर्धारित की गई है. इस मामले में निचली अदालत में सुनवाई 20 मार्च को होगी.
कपिल मिश्रा ने 23 जनवरी 2020 को दिल्ली विधानसभा चुनाव से संबंधित एक विवादास्पद बयान ट्वीट किया, जिससे काफी हंगामा हुआ. इस मामले में चुनाव अधिकारी ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर FIR भी दर्ज की गई. सेशन कोर्ट ने सात मार्च को दिए गए अपने आदेश में मजिस्ट्रेट कोर्ट के निर्णय से सहमति जताते हुए कहा कि चुनाव अधिकारी द्वारा प्रस्तुत शिकायत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत अपराध के लिए पर्याप्त है. इस धारा में चुनाव के दौरान विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का उल्लेख किया गया है.
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कपिल मिश्रा ने कोर्ट में क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट में मिश्रा की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने अपनी दलील में कहा कि अधिनियम की धारा 125 एक गैर-संज्ञेय अपराध है, और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 155 (2) के अनुसार बिना उचित प्रक्रिया के FIR दर्ज नहीं की जा सकती. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विवादित ट्वीट का उद्देश्य विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना नहीं था, और न ही उस समय कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी. मिश्रा ने चुनाव के दौरान अपने ट्वीट के माध्यम से उन ‘असामाजिक और राष्ट्रविरोधी’ तत्वों की निंदा की, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ आंदोलन के बहाने माहौल को बिगाड़ना चाहते थे.
दिल्ल्ली पुलिस ने क्या दी दलीलें?
महेश जेठमलानी ने अपने तर्क में कहा कि मिश्रा का ट्वीट यह संकेत देता है कि यदि कोई देश को विभाजित करने का प्रयास करेगा, तो राष्ट्रवादी लोग उसे रोकने के लिए आगे आएंगे. दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस ट्वीट का उद्देश्य दो धार्मिक समुदायों के बीच द्वेष को बढ़ावा देना था. इस संदर्भ में, दो अदालतों के निर्णय समान हैं, और मिश्रा की दलीलों पर आरोप तय करते समय इन्हें ध्यान में रखा जा सकता है.
सेशन कोर्ट ने 7 मार्च को मिश्रा की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उनका बयान धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने का एक प्रयास प्रतीत होता है, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से उस देश का उल्लेख किया गया है, जिसका प्रयोग आम बोलचाल में अक्सर एक विशेष धर्म के सदस्यों को दर्शाने के लिए किया जाता है.
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