लोकेश प्रधान, बरमकेला- सरकारी स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. बच्चों की अच्छी शिक्षा को लेकर पालक भी परेशान हैं. जिसके चलते वे अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. लेकिन इस बीच रायगढ़ से 45 किमी दूर बरमकेला ब्लॉक से एक अच्छी खबर निकल कर आई है. ब्लाक के गांव डीपापारा केंदवारी के बार प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जा रही, जिससे पालकों की चिंता दूर हो गई है.

पिछले 10 सालों से इस स्कूल का कायाकल्प हो गया है. सुविधाएं और पढ़ाई इतनी अच्छी की बड़े निजी स्कूल भी पीछे छूट गए हैं. सभी कक्षा के बच्चों को एक साथ ग्रुप बनाकर सवाल जवाब किया जाता है. जिससे बच्चे धीरे-धीरे खुलते हैं और अपनी समस्याएं शिक्षकों से साझा करते हैं. स्कूल में लगभग 1000 अलग-अलग लेखकों के पुस्तकें हैं. स्कूल में अच्छे परिणाम मिलने से स्कूल को देखने और इस पर रिसर्च करने लोग पहुंच रहे हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि जिले का यह सरकारी स्कूल प्रदेश स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है. यहां बच्चों को पहली कक्षा से अच्छी शिक्षा मुहैया कराई जाती है. इस स्कूल की व्यवस्था से छात्रों को सफलता मिल रही है. इस साल 5 बच्चों का चयन जवाहर उत्कर्ष में हुआ है. जानकारी के मुताबिक 10 सालों में 61 छात्रों का सैनिक स्कूल व जवाहर नवोदय विद्यालय में हो चुका है.

छात्रों की सफलता में शिक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शिक्षक बच्चों को गर्मी छुट्टी में भी कोचिंग देते हैं. शिक्षकों का उद्देश्य बच्चों को सभी विषयों का कोर्स पूरा कराने के साथ ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कराते हैं. जिसमें अब तक कई बच्चे सफल हो चुके हैं.

इस वर्ष जवाहर उत्कर्ष में 5 बच्चों का चयन हुआ है, जिसकी बधाई क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व अधिकारियों ने शिक्षकों को दिया है. रायगढ़ के जिला परियोजना समन्वयक रमेश देवांगन, सहायक परियोजना समन्वक भूपेंद्र पटेल, सरिया थाना प्रभारी आशीष वासनिक, बार सरपंच सरिता नायक, बार हॉस्टल अधीक्षक अमीत पटेल ने शिक्षकों व बच्चों को सम्मानित कर हौंसला बढ़ाया है.

प्रधान पाठक सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि स्कूल पहली कक्षा से ही सभी बच्चों को प्रशिक्षण देना व गर्मी की छुट्टियों में सभी शिक्षकों द्वारा क्लास लिया जाता है. सभी क्लास के बच्चों को एक साथ ग्रुप बनाकर सवाल जवाब पूछा जाता है, जिससे छोटे कक्षा के बच्चे भी धीरे धीरे खुलते हैं. इनको पुस्तक पास होने के हिसाब से नहीं प्रतियोगी परीक्षा पास करने पर जोर दिया जाता है. बच्चों को यहां के टीचर वर्तमान में हुए हर बड़े-छोटे घटना की जानकारी देते हैं. स्कूल की लाईब्रेरी में अलग-अलग लेखकों के लगभग 1000 पुस्तकें रखी गई है.