संतोष गुप्ता, जशपुर- जिले में शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं मे संचालित मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का बुरा हाल है. बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है. कई स्कूलों में दाल की जगह चावल बनाने के बाद जो माड़ बचता है, उसमें हल्दी मिलाकर बच्चों की थाली में परोसा जा रहा है. फरसाबहार विकासखंड के कंदई बहार के प्राथमिक शाला में दौरा किया तो वहां मौके पर माड़ मिला दाल छात्रों को खाने के लिए दिया गया.

दरअसल, सरकार बच्चों के शरीर मे हिमोग्लोबीन स्तर को बढ़ाने के लिये चना व गुड़ खिलाने का आदेश कुछ साल पहले जारी किया था, लेकिन इस आदेश का जिले में पालन नहीं हो रहा है. सुबह स्कूल में प्रार्थना के बाद बच्चों को गुड़ व चना देना है. वहीं शनिवार को अंकुरित चना, गुड़ एवं दूध से बना खीर भी बच्चों को खिलाना है. लेकिन जिले में इसका पालन नहीं हो रहा है.

जिले मे 1746 प्राथमिक स्कूल व 520 माध्यमिक स्कूल में मध्यान्ह भोजन का संचालन होता है, जिसमें प्राथमिक स्कूल के 68668 एवं माध्यमिक स्कूल के 41314  बच्चे हैं.  इस प्रकार कुल 109985 बच्चों को मध्यान्ह भोजन दिया जाता है. इतने बच्चो को मध्यान्ह भोजन कराने के लिये सरकार प्रतिदिन लगभग 595947 रूपये खर्च करती है वहीं एक माह मे लगभग एक करोड़ चौवन लाख 94 हजार 6 सौ 41 रूपये की बड़ी राशि मध्यान्ह भोजन मे खर्च हो रहा है.

जशपुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी मिथिलेश सिंह सेंगर ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी मीनू के आधार पर मध्यान्ह भोजन का संचालन किया जा रहा है. दूध की उपलब्धता नहीं होने के कारण शनिवार को खीर की जगह बच्चों को खिचड़ी दिया जाता है.