रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आईना भेजकर चेहरा देखने को कहा और चिट्ठी लिखकर उन पर जमकर निशाना भी साधा. अब भूपेश बघेल पर कलेक्टरी छोड़ बीजेपी नेता बने ओपी चौधरी ने फेसबुक पर पलटवार करते हुए एक कार्यकर्ता के रुप में उन्हें जवाब दिया है. ओपी ने कहा कि आप यदि स्टाइलिश आईने की जगह रायगढ़ जिले के एकताल गांव के बेलमेटल या बस्तर आर्ट का कोई डिज़ाइन बनवा कर भेजते तो इससे छत्तीसगढ़ के वनवासी भाई बहनों को थोड़ा लाभ हो जाता. लेकिन आपने तो महंगा विदेशी ब्रांड का आइना भेज दिया.

आपी चौधरी ने कहा कि भूपेश बघेल ने मोदी के चाय बेचने पर सवाल उठाते रहते है. आप तो गुजरात गए ही होंगे, मैं तो गया हूं, चर्चाओं और अध्य्यन के आधार उन्होंने बघेल से सवाल किया है कि क्या नरेंद्र मोद के पिता दामोदर दास मोद की चाय की दुकान वड़नगर के रेल्वे स्टेशन में नहीं थी? क्या वहां बालक नरेंद्र मोदी सुबह पिता के साथ काम नहीं करते थे? और स्कूल की घण्टी बजते ही स्कूल की ओर नहीं चले जाते थे? कभी पूछिएगा भागवताचार्य नारायणाचार्य विद्यालय में जाकर इन सब सवाले के जवाब. क्या मोदी के चाचा की चाय दुकान अहमदाबाद के बस स्टैंड के पास नहीं थी, जहां मोदी काम किया करते थे? क्या बाद में मोदी ने अहमदाबाद के गीता मन्दिर के पास एक साइकिल खरीदकर खुद के चाय का काम चालू नहीं किया था? अगर इतना ही संदेह है तो इस पर भी एक SIT ही गठन कर दीजिए. अगर इतनी झूठी बात है तो मणिशंकर को एक बयान के लिए कांग्रेस ने अप्रासंगिक मुहावरा क्यों बना दिया? उन्होंने कहा कि मोद ने चाय बेची है और शायद इसलिए बेची है, क्योंकि उनके नाम के साथ गांधी परिवार वाला सरनेम नहीं जुड़ा है. उन्होंने चाय बेची है, देश नहीं.

बघेल जी सबूत के बजाय सपूत खोजिए

ओपी ने कहा कि बघेल मोदी के चाय बेचने पर सबूत खोज रहे हैं. आप लोग इतना सबूत खोजते हैं, उसके बजाय देश के लिए एक सपूत खोज लेते. देश की जनता मोदी को ही देश का सपूत मानती है, यह तो 23 मई को सिद्ध हो ही जाएगा. आप लोग कांग्रेस के लिए भी एक सपूत खोजने की कोशिश कीजिए. एक परिवार के चरणों में पूरी कांग्रेस पार्टी और देश को रख देने की मानसिकता से भूपेश बघेल को बाहर निकलने की बात कहीं.

मोदी के सूट-बूट के सवालों पर दिया जवाब

कांग्रेस और भूपेश बघेल द्वारा बार-बार पीएम मोदी के सूट-बूट पर उठाते सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सीएम भूपेश बघेल ने 1963 का राम मनोहर लोहिया का नेहरू पर आर्टिकल तो जरूर पढ़ा होगा. एक दिन के 25 हजार रुपये. देश के तीसरी लोकसभा में चर्चा भी हुई थी. देश का प्रधानमंत्री या प्रदेश का मुख्यमंत्री देश-प्रदेश के प्रतिनिधि होते हैं. एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संस्था होते हैं. मैं आपके व्यक्तित्व और सोच को न देख कर आपके जैकेट के चीप की ओर नजरें ताकूँ, तो शायद ठीक नहीं. मैं अगर पूछूं की महंगे गुलाब की जगह नेहरू देशी बरगंडा का फूल क्यों नहीं लगाते थे, तो ठीक नहीं होगा. मोदी जो भी पहनते हैं, कम से कम देश को टोपी और चश्मा तो नहीं पहनाते. ओबामा के साथ बैठक के जिस सूट की आप बात कर रहे हैं, आपने पढ़ा ही होगा कि मोदी ने नीलाम कराके 4 करोड़ 31 लाख रुपए की राशि इकट्ठा करके नमामि गंगे परियोजना में जमा करा दी थी. सिओल पीस प्राइज से मिले 2 लाख अमेरिकी डॉलर को भी गंगा माता को समर्पित कर दिया. उनको मिलने वाले सारे गिफ्ट को बेचकर चैरिटी की जाती है.

ओपी ने योजनाओं का किया बखान

ओपी चौधरी ने कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार को सूट बूट की सरकार कहे जाने पर कहा कि मौदी ने 19 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाई, 50 करोड़ लोगों के लिए आयुष्मान भारत योजना बनाई, 9 करोड़ शौचालय बनवाए, 6 करोड़ उज्ज्वला के कनेक्शन दिए, 1.5 करोड़ लोगों को पक्का मकान दिया, 34 करोड़ लोगों के जन धन खाते खोले, 13 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना का लाभ दिया, 21 करोड़ लोगों को बीमा योजनाओं का लाभ दिया, 12 करोड़ किसान भाइयों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ दे रहे हैं, 3 करोड़ टैक्स पेयर को ऐतिहासिक छूट दी. ये सब मोदी कौन से सूट बूट वालों के लिये कर रहे हैं? ये तो देश के लिए ही किया है.

कल देंगे कुछ और मुद्दों पर जवाब

ओपी ने ये भी कहा कि भूपेश बघेल जी को तो ये पता ही होगा कि मैंने कलेक्टरी छोड़ दी है, चुनाव भी हार गया. आजकल रोजी रोटी के लिए कुछ नए काम भी चालू कर रहा हूं. इसलिए समय थोड़ा कम मिलता है और आपने अपने सतही पत्र में GST, काला धन, गंगा, पाकिस्तान, विदेश दौरे जैसे अनेकानेक मुद्दों को छुआ है. उन सबका जवाब मैं कल लिखूंगा. तब तक के लिए राम राम! उन्होंने ये भी कहा कि जवाब का कोई अंश आपको अगर ठीक न लगा हो, तो बुरा मत मानिएगा, उमर में मुझसे आप बहुत बड़े हैं.

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