संदीप शर्मा, विदिशा (सिरोंज)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विदिशा के सिरोंज (Sironj in Vidisha) में राजस्व विभाग की लापरवाही (Negligence of revenue department) के कारण किसानों के लिए नई मुसीबत (Trouble for Farmers) खड़ी हो गई है। एक ओर जहां अधिकांश जमीनें सिंचित हैं और सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक रजिस्ट्री पर स्टांप शुल्क भी सिंचित जमीन का ही लिया जाता है, वहीं दूसरी ओर पटवारी द्वारा जमीनों को असिंचित लिखने का मामला सामने आया है। जिसके कारण किसान अपनी फसल का आधा हिस्सा ही सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच पाएंगे।
क्या है मामला
दरअसल, सिरोंज क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं, जहां पटवारी की लापरवाही के कारण किसान तहसील के चक्कर लगा रहे हैं। इसमें परसोरा और चंदाढाना गांवों में सिंचित जमीनों को असिंचित कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार, परसोरा में हल्का नं 34 में मुकेश और लखन सिंह के नाम पर खसरा नं 120/2/2 और 155 दर्ज हैं, जबकि चंदाढाना में किसान जालम सिंह का खसरा नं 160/1 शासकीय रिकॉर्ड में सिंचित है। लेकिन इन सभी खसरा नंबरों को पटवारी ने पंजीयन के लिए असिंचित घोषित कर दिया।
किसान कांग्रेस नेता ने SDM को ज्ञापन सौंपा
अब सोचने वाली बात यह कि, जब सरकारी रिकॉर्ड और ऑनलाइन डेटा में ये सभी जमीनें सिंचित हैं, तो फिर पटवारी ने इन्हें असिंचित क्यों लिख दिया? वहीं मामले को लेकर कांग्रेस नेता ने गंभीर आरोप लगाए हैं। किसान कांग्रेस नेता सुरेंद्र रघुवंशी ने कहा कि, समय-समय पर किसानों को ठगने का काम शासन-प्रशासन मिलकर करते हैं। एक ओर महंगाई की वजह से किसानों की हालात वैसे ही कमजोर है, ऊपर से फसलों के दाम इतने गिरे हुए हैं कि वह अपनी फसलों को मंडी में नहीं बेच पा रहे। उन्होंने कहा कि, मामले को लेकर एसडीएम हषर्ल चौधरी से शिकायत की है। इसके साथ ही उचित जांच कर पटवारी पर कार्रवाई करने ज्ञापन भी सौंपा है।
सरकार पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि, एक ओर सरकार और प्रशासन सिरोंज में कृषि विज्ञान मेला आयोजित करवा रही है। दूसरी ओर पटवारी की गलती के कारण कई गांव में किसानों की जमीन को असिंचित कर दिया गया है। जिससे उनको अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर बेचने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसमें चंदाढाना, परसोरा समेत कई गांव शामिल हैं। उन्होंने कहा यहां किसानों द्वारा अपनी उपज को बेचने के लिए जो पंजीयन कराए गए, उनमें उनकी आधी से ज्यादा जमीन असंचित आ रही है। जबकि सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से पूरे क्षेत्र की जमीन सिंचित है और जमीन की खरीद बिक्री में स्टांप ड्यूटी भी उसी हिसाब से अधिक लगाते हुए रजिस्ट्री की जाती हैं। लेकिन पटवारी की लापरवाही से किसानों को काफी नुकसान हुआ है।
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