बिलासपुर- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) विधायक धर्मजीत सिंह और अमित जोगी द्वारा दायर जनहित याचिका में नया मोड़ आ गया है. वकील अनूप मजूमदार ने याचिका से अमित जोगी का नाम हटाने और पक्षकार नहीं बनाने की मांग की है. बहस के दौरान महाधिवक्ता कनक तिवारी ने इस पर आपत्ति की. उन्होंने कहा कि जब तक इस संबंध में अमित जोगी का शपथ पत्र आवेदन के साथ प्रस्तुत नहीं होता, उन्हें इस प्रकरण से हटाया नहीं जा सकता. वह एक अवैधानिक प्रकरण दायर करने के बाद संभावित परिणाम से बचना चाहते हैं, जबकि राज्य शासन इस संबंध में सक्षम रूप से अपना पक्ष समर्थन करने के लिए तैयार हैं.

गौरतलब है कि याचिका में विधायक धर्मजीत सिंह और अमित जोगी ने राज्य के महानिदेशक डीएम अवस्थी की नियुक्ति के संबंध में आपत्ति व्यक्त की है कि अवस्थी को कार्यकारी महानिदेशक के पद पर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त करना सुप्रीम कोर्ट के प्रकरण में दिए गए आदेश के खिलाफ हैं. इस संबंध में सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पूरी तौर पर पालन किया गया है. स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अधिकार दिया है कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं. ऐसा आवेदन पत्र 20 दिसंबर को ही राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत कर दिया गया है.

महाधिवक्ता ने साफ कहा कि इस प्रकरण में अमित जोगी ने तीन तरह का आचरण किया है. एक याचिका उन्होंने जनहित याचिका कार के रूप में प्रस्तुत की है. दूसरी याचिका में अपने पिता अजीत जोगी के वकील के रूप में खड़े हुए और तीसरी याचिका में दूसरों के माध्यम से अपने लिए उसकी प्रार्थना कर रहे हैं. यह खुलासा होने पर अदालत को उनका प्रकरण निरस्त करने के साथ दंड के रूप में कॉस्ट भी लगानी चाहिए.