लक्ष्मीकांत बंसोड़, डौंडी. शादी की पूरी तैयारी हो चुकी थी, कार्ड पूरे परिवार, आस-पास और गांवों मे बंट चुके थे. लेन-देन पूरा हो चुका था. लडकी पक्ष ने लाखों रुपय का कर्ज लेकर शादी की रस्मों को धूमधाम से करने में जुटा हुआ था. लाडली दुल्हन के आंखों में सात फेरों के साथ शादी के सपने सजने लगे थे, लेकिन शादी के ठीक एक दिन पहले दूल्हे ने दुल्हन के माता-पिता समाज से अलग होने को वजह बताते हुए शादी से इंकार कर उसके सारे सपनों को चकनाचूर कर दिया.

मामला डौंडी के ग्राम दिघवाड़ी सर्किल आमाडुला में आदिवासी समाज की 24 वर्षीय युवती नागेश्वरी नेताम पिता मनिहार नेताम की शादी ग्राम अडजाल के युवक भीलेश कुमार मंडावी पिता गिरधारी राम मंडावी से एक अप्रैल को तय हुई थी. लेकिन दुल्हन के माता-पिता के समाज से बहिष्कृत की वजह से दुल्हे ने शादी से इनकार कर दुल्हन को अप्रैल फूल बना दिया. दूल्हे के शादी से इंकार करने से आहत दुल्हन ने डौंडी थाने में शिकायत दर्ज कराई.

मामला थाने में पहुंचने पर दोनों पक्षों को थाने में बुलाकर उनकी बातों को सुना गया. लडकी पक्ष ने कहा कि हमने शादी से पहले दूल्हे पक्ष को जानकारी दे दी थी कि हम समाज से अलग हैं, जिसके बाद उन्होंने शादी पर रजामंदी देते हुए फेरों की तारीख तय कर तैयारी शुरू करवाई. शादी के लिए हमने लाखों रुपए का कर्ज तक लिया, लेकिन दूल्हे ने शादी से एक दिन पहले शादी से इनकार कर दिया. वहीं दुल्हन ने बताया कि दूल्हे की पूर्व में शादी हो चुकी थी, यह बात हमसे छुपाई गई थी. हालांकि, जिससे दूल्हे की जिससे शादी हुई थी, उसका निधन हो चुका है. वहीं लड़के पक्ष ने बताया कि लड़की पक्ष ने समाज से अलग होने की बात छिपाए रखी, जिसकी जानकारी होने पर हम बारात लेकर नहीं गए.

मामले में डौंडी थाना प्रभारी विकास देशमुख ने बताया कि यह सामाजिक मामला है. लड़की की शिकायत के बाद हमने लड़का पक्ष को बुलाकर पूछताछ की तो पता चला कि लड़की पक्ष वालों ने उन्हें गुमराह कर रखा हुआ था.

क्या लड़की को मिल पाएगा न्याय

अब लिखित कायदे-कानून पर चलने वाली पुलिस के सामने धर्मसंकट आ खड़ा हुआ है. 21 सदी में भी सामाजिक कुरीतियों से जकड़े समाज की वजह से एक मासूम लड़की के सपनों का चूरचूर हो जाने को किस तरह से वह समझ पाएगी और किस तरह से न्याय दिला पाएगी. क्या कोई सामाजिक संस्था, जनप्रतिनिधि, महिला एवं बाल विकास विभाग इस पर संज्ञान लेते हुए उचित न्याय दिलाने कोई कदम उठा पाएगी या फिर सामाजिक कुरीतियों के चलते दुल्हन की आखों के सपने जलते चूल्हों के अंगारो में धर दिए जाएंगे या पिता को शादी के कर्ज के तले मरने को मजबूर कर दिया जाएगा.